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डाउनलोड करेंपूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को लखनऊ की MP-MLA कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 2 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने यह फैसला चित्रकूट की महिला से गैंगरेप और उसकी बेटी के साथ रेप के प्रयास में दोषी ठहराए जाने के बाद सुनाया है। सजा सुनते ही गायत्री फूट-फूटकर रोने लगा।
वहीं, मामले में आरोपी गायत्री के दोनों साथियों आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है। तीनों दोषियों को जेल से लाकर विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय के सामने पेश किया गया है। दो दिन पहले (10 नवंबर) ही तीनों को दोषी ठहराया गया था। गायत्री प्रसाद सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री था।
मैं निर्दोष हूं...मेरा बयान नहीं लिया गया: गायत्री प्रजापति
गायत्री प्रजापति ने हाथ जोड़कर मीडिया से कहा कि ये जो फैसला आया है, यह गलत है। राजनीतिक विरोधियों द्वारा साजिश की गई है। मैं निर्दोष हूं...मेरा बयान नहीं लिया गया। मेरी मांग के बाद भी नार्को टेस्ट तक नहीं कराया गया। मैं अमेठी से चुनाव न लड़ सकूं, इसलिए ये फैसाया सुनाया गया है। मुझे इस सरकार ने फंसाया है। मुझे हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है। हम बाइज्जत बरी होंगे। मैं हिंदुस्तान की जनता से अपील करता हूं कि मुझे इंसाफ दिलाए। मैं व्हील-चेयर पर चल रहा हूं...इलाज नहीं हो रहा।
अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 तक गैंगरेप का आरोप
कोर्ट ने बयान बदलने पर पीड़िता के खिलाफ भी दिए जांच के आदेश
10 नवंबर को जब गायत्री प्रजापति को दोषी ठहराया तो कोर्ट ने पीड़िता को भी कटघरे में खड़ा किया। बार-बार बयान बदलने के कारण कोर्ट ने पीड़िता और उनके पक्ष के गवाह राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश दिए।
कोर्ट ने कहा था कि किस वजह से, किसके प्रभाव में बार-बार बयान बदले गए? इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराएंगे। वहीं, इस केस में 4 आरोपियों चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर और अमरेन्द्र सिंह पिंटू को कोर्ट ने निर्दोष माना था।
2 पॉइंट में समझिए कब क्या हुआ?
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