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डाउनलोड करेंSGPGI के नियोनेटोलॉजी विभाग के डॉ. आकाश पंडिता को ICMR यानी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का डॉ. एचबी डिंगले मेमोरियल यंग रिसर्च अवार्ड मिला है। यह पहला मौका है जब प्रदेश के किसी नियोनेटोलॉजिस्ट को यह अवार्ड दिया गया है। सहायक प्रोफेसर डॉ. आकाश पंडिता को यह उपलब्धि पीडियाट्रिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए उनके उत्कृष्ट शोध के लिए दिया गया है।
नायाब शोध से नौनिहालों को मिला नया जीवन
उन्होंने खुद के द्वारा खोजी गई 3 अहम तकनीक का उपचार में उपयोग कर नवजात को गंभीर समस्या से निजात दिलाने में कामयाबी हासिल की है। डॉ.आकाश ने बताया कि सरफैक्टैंट विद आउट इंडोट्रेकियल इंट्यूबेशन तकनीक के जरिए सांस लेने में कठिनाई की समस्या से मुक्ति दिलाई है। उन्होंने जोड़ा कि आम तौर पर यह समस्या प्रीमेच्योर बेबी यानी जन्म से पूर्व ही पैदा हुए नवजात शिशुओं में देखी गई है। जिसके उपचार की विधा SurE तकनीक है, अभी तक इसके लिए NICU केअर और वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती थी पर अब इसकी जरुरत से भी छुटकारा मिला है। इसके अलावा नवजात से जुड़ी अन्य समस्याओं पर भी उनके कारगर शोध सामने आएं है। जिनमें से नवजात शिशुओं में CPAP के इस्तेमाल होने से होने वाले फेशियल पाल्सी को पहचाना भी शामिल है। साथ ही नवजात शिशुओ को टीका लगने के पश्चात होने वाले दर्द को कम करने के लिए कंगारू मदर केयर का प्रयोग भी है।
सहायक प्रोफेसर की कामयाबी से निदेशक हुए गदगद
SGPGI के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने पीडियाट्रिक विभाग के डॉ. आकाश की उपलब्धियों को बेहद प्रभावी बताया है। उन्होंने कहां कि कम लागत के शोध करके उन्होंने संस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य का नाम रोशन किया है।
यूरोफ्लो मशीन की खराबी से मरीजों की बढ़ी मुश्किलें
SGPGI में लगी यूरोफ्लो की मशीन खराब होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रायबरेली से यूरिन की समस्या से जुड़ी जांच कराने आएं विकास सिंह ने बताया कि यूरोफ्लो मशीन खराब होने की जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि लगभग 15 दिनों से यह समस्या है। स्टोन सेंटर के प्रवेश द्वार पर इस बाबत नोटिस चस्पा कर दी है। वहीं यूरोलॉजी के डॉक्टर जांच के लिए लिख रहे हैं पर संस्थान में सुविधा न होने से बाहर के निजी संस्थानों से मरीजों को जांच कराना पड़ रहा है।
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