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डाउनलोड करेंहाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने देवा शरीफ का संचालन करने वाले हाजी वारिस अली शाह मुसेलम ट्रस्ट के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याची को इस मामले में जिला जज, बारांबकी की अदालत में अर्जी देने को कहा है। यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने मो. फैयाज की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।
याची ने एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर हाजी वारिस अली शाह मुसेलम ट्रस्ट के मामलों को देखने की मांग किया था। कहा गया था कि देवा शरीफ की संपत्तियों, वहां आने वाले चढ़ावे एवं दानों की ठीक प्रकार से गिनती की जाए। साथ ही आगंतुकों के लिए उचित व्यवस्था किया जाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक मामले में कहा था कि इस प्रकार के प्रकरणों में जिला जज के सामने अर्जी दी सकती है। जिला जज अर्जी में उठाए बिंदु की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेज सकते हैं। जिस पर हाईकोर्ट जनहित याचिका के रूप में सुनवाई कर सकता है। कोर्ट ने पाया कि प्रस्तुत मामले में याची ने जिला जज के सामने अर्जी पेश नहीं किया था।
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