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डाउनलोड करेंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं। उनके इस फैसले के पीछे केंद्र में यूपी ही है। क्योंकि यूपी में चुनाव होने वाले हैं। मोदी ने यह फैसला तब लिया, जब वह यूपी के बुंदेलखंड में हैं। लेकिन उनका ये इतना बड़ा फैसला यूं ही नहीं आया। इसके पीछे यूपी से जुड़ी पांच बड़ी बातें हैं। आइए एक-एक कर जानते हैं-
1.लखीमपुर हिंसा ने बदल दी भाजपा की रणनीति
लखीमपुर खीरी में मंत्री के बेटे की जीप से कुचलने पर किसानों की मौत के बाद हिंसा भड़क उठी। सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी। किसानों की नाराजगी और बढ़ गई, इससे सरकार सोचने पर मजबूर हो गई। प्रियंका गांधी लगातार सरकार पर हमलावर रहीं, यहां तक कि उन्होंने अमित शाह के साथ केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की फोटो तक शेयर की। इसके बाद सरकार ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया।
2. यूपी में किसानों को लेकर विपक्ष का प्रहार
प्रमुख विपक्षी दल में कांग्रेस की प्रियंका गांधी और सपा के अखिलेश यादव ने किसानों के सेंटिमेंट्स को जीतना शुरू कर दिया। जब तक हिंसा की आग ठंडी नहीं हुई विपक्ष के नेताओं के दौरे होते रहे। प्रियंका ने पीड़ित किसानों के परिवार से मुलाकात की। वहीं, राकेश टिकैत को एक और मुद्दा मिल गया। अखिलेश यादव संवेदनाओं पर योगी सरकार को घेरते रहे। इसके बाद यूपी का कोई भी मुद्दा हो, जैसे आगरा में सफाईकर्मी की मौत, ललितपुर में खाद की लाइन में लगे किसान का मरना, सभी मुद्दों पर विपक्ष हावी होता दिखाई दिया।
3. मंत्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार और जज नियुक्त
योगी सरकार किसी तरह हिंसा को डैमेज कंट्रोल करने में जुटी थी। इसके लिए बाकायदा जांच होने लगी, लेकिन इसमें देरी हो रही थी। विपक्ष इसे मंत्री के बेटे को बचाने से जोड़कर देखने लगा। लगातार हो रही देरी और पीड़ित किसान परिवारों की पीड़ा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि सब कुछ हम करेंगे तो आप क्या करेंगे। इसके साथ ही एसआईटी की जांच के लिए एक रिटायर्ड जज की नियुक्ति कर दी। इससे सरकार असहज हुई।
4. वेस्ट यूपी में जाट ही नहीं, हर वर्ग था नाराज
भाकियू नेता राकेश टिकैत के आंसुओं किसान आंदोलन को और उग्र कर दिया। दरअसल, 26 जनवरी 2021 तक किसान आंदोलन का असर पश्चिम उत्तर प्रदेश में कुछ खास नहीं दिख रहा था। लाल किले पर कुछ सिख युवकों की ओर से की चढ़ाई ने पूरे आंदोलन को कमजोर कर दिया था। इसके बाद यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेता राकेश टिकैत को जब यूपी पुलिस ने हटाने की कोशिश की तो माहौल बदलना शुरू हो गया। राकेश टिकैत के आंसुओं ने पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर गहरा असर डाला। जाट समुदाय के साथ हर वर्ग का किसान उनके साथ खड़ा हो गया।
5. ...और अंत में 2022 का चुनाव
उत्तर प्रदेश में ज्वलंत मुद्दे लगातार बढ़ते देख भाजपा संगठन की चिंताएं बढ़ती जा रहीं थीं। ऐसे में पिछले बीस दिनों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री अमित शाह और खुद मोदी ने यूपी का दौरा कर यहां की नब्ज टटोली, जिसमें कहीं न कहीं जमीनी स्तर पर भाजपा कुछ कमजोर होती दिखाई दी। इसके बाद ही लगातार योजनाओं का शुभारंभ, पुरानी योजनाओं का लोकार्पण कर माहौल बनाए जाने लगा। लेकिन जब बात इससे भी बनती नजर नहीं आई तो प्रधानमंत्री ने अपने बुंदेलखंड दौरे के दिन किसानों के हित में कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी।
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