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डाउनलोड करेंबसपा ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा कदम उठाया है। सपा में जाने की अटकलों के बीच गोरखुपर के चिल्लुपार विधानसभा से विधायक बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उनके बड़े भाई एवं संतकबीर नगर से पूर्व सांसद कुशल तिवारी और पूर्व विधान परिषद अध्यक्ष गणेश शंकर पांडेय भी बसपा से निकाले गए हैं।
इन नेताओं पर अनुशासनहीनता करने और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से सही व्यवहार न रखने का आरोप था, जिसकी वजह से पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया गया है। हालांकि, इन नेताओं की समाजवादी पार्टी में जाने की चर्चा है।
ब्राह्मण नेता भी एसपी का दामन थाम सकते
खबर है कि पूर्वांचल के बाहुबली और बड़े ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे और बीएसपी विधायक विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। विनय शंकर तिवारी की शनिवार को एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात भी हो चुकी है। विनय शंकर तिवारी के साथ ही हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे कुशाल तिवारी और भांजे गणेश शंकर पांडेय भी सपा में शामिल हो सकते है। विनय शंकर तिवारी के साथ-साथ कुछ और ब्राह्मण नेता भी एसपी का दामन थाम सकते हैं।
बीजेपी की बढ़ सकती है मुश्किलें?
राज्य में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए सभी राजनैतिक दल कई तरह सम्मेलन कर रहे हैं। बीएसपी से लेकर समाजवादी पार्टी ब्राह्मणों को अपनी तरफ लाने के लिए ब्राह्मण नेताओं को फ्रंट में लेकर आई है। वहीं, ब्राह्मण को BJP का कोर वोटर माना जाता है, लिहाजा विनय शंकर तिवारी के एसपी में जाने से पूर्वांचल के ब्राह्मण वोट बैंक पर पार्टी सेंध लगाएगी और इसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है। कहा जाता है कि हरिशंकर तिवारी का पूर्वांचल के 12 से 15 सीटों पर ब्राह्मण समाज पर असर है।
कौन हैं हरिशंकर तिवारी?
विनय शंकर तिवारी के सपा में शामिल होने की अटकलों के बीच एक बार फिर हरिशंकर तिवारी भी चर्चाओं में है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी फिलहाल सियासत से दूर हैं, लेकिन एक समय अपराध की दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम था। कहा जाता है कि पूर्वांचल में गैंगवार की शुरुआत उन्हीं की वजह से हुई। उस समय पूर्वांचल में पंडित हरिशंकर तिवारी का सिक्का चलता था।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनकी धमक भी कम पड़ गई। दूसरे माफिया की तरह हरिशंकर तिवारी ने भी अपराध की दुनिया के बाद राजनीति में कदम रखा। उसमें भी वह सफल रहे। गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से वो 6 बार विधायक चुने गए। एक समय हरिशंकर तिवारी और चिल्लूपार एक-दूसरे के पर्याय बन गए थे। वो 1997 से 2007 के बीच उत्तर प्रदेश में बनी हर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। हर दल के नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं।
बनती-गिरती सरकारों में हर बार मंत्री
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