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डाउनलोड करेंललितपुर जिले के मड़ावरा तहसील क्षेत्र के कुछ किसानों द्वारा अपनी लहलहाती मूंग की फसल को उजाड़ने का निर्णय लिया गया है। जी हां चौंकिए मत आपने एकदम सही पढ़ा उजा़ड़ने का? इन दिनों आप जहां भी देखें तो किसान फसल की रखवाली करने के बजाय आराम से उसे जानवरों को चरने दे रहे हैं। आइए हम आपको बता रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
दैनिक भास्कर पड़ताल में सच आया सामने
दरअसल 'दैनिक भास्कर' को जब किसानों द्वारा उजाड़ी जा रही हरी फसल की जानकारी मिली तो उसने पड़ताल की और किसानों से जाना आखिर क्यों लाखों की लागत लगाकर बोई गई मूंग की फसल को उजाड़ा जा रहा है। तो उसके पीछे का कारण बिजली न आना निकला। किसानों ने अपनी समस्या सुनाते हुए बताया कि गर्मी के मौसम में मूंग की फसल को अनुमानित 10 दिन के अंदर पानी की आवश्यकता पड़ती है,लेकिन क्षेत्र में अघोषित बिजली कटौती व लो वोल्टेज की समस्या के चलते फसल को समय पर पानी नहीं दे पा रहे,जिसके चलते फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गईं हैं। जिससे कई किसानों को सदमा लग गया है और इस समस्या से तंग आकर अपनी लहलहाती फसलें तैयार होने से पहले ही जानवरों से उजाड़ करा दी हैं।
लाखों का है कर्ज
लरगन निवासी किसान सुनील का कहना है कि उन्होंने मूंग की फसल बोई थी,शुरुआत से फसल अच्छी बन रही थी। लेकिन बीच में लो वोल्टेज व अघोषित बिजली कटौती से फसल को समय पर पानी नहीं मिल पाया और वह सूखती फसल को नहीं देख सका उसने पूरी फसल जानवरों के हवाले कर दी है।
पानी ने दिया धोखा
सौंरई निवासी युवा किसान नाती राजा परमार बताते हैं कि उन्होंने हजारों रुपए की लागत लगाकर करीब दो से सात एकड़ भूमि में मूंग की फसल बोई हुई थी, जिसमें बीज से लेकर बुआई व कीटनाशक दवाई का छिड़काव तक किया, लेकिन बीच में ही वाटर लेवल कम हो गया और ट्यूबवेल ने पानी छोड़ दिया। पानी के अभाव में हरी फसल सूख गई।
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