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डाउनलोड करेंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम करीब 4 बजकर 55 मिनट पर नेपाल के लुंबिनी से कुशीनगर एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से वे सीधे बुद्ध महापरिनिर्वाण मंदिर के लिए रवाना हो गए।
इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही। इसके पहले सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर कुशीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। यहां से नेपाल गए थे। 7 महीने में पीएम मोदी दूसरी बार कुशीनगर आए हैं। यहां बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर माथा टेका। इसके साथ चीवर दान करके पूजा-अर्चना की। वहीं, बौद्ध भिक्षुओं को संघदान किया।
परिनिर्वाण स्थल पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल के लुंबिनी से आने के बाद करीब 4:50 बजे कुशीनगर एयरपोर्ट पहुंचे। यहां पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने उनकी आगवानी की। इसके बाद पीएम मोदी सीधे महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर की ओर रवाना हुए। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच प्रधानमंत्री एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से महापरिनिर्वाण स्थल शाम करीब 5:15 में पहुंचे। वे गोल्फ कार्ट से मंदिर गए।
पीएम मोदी को बुद्ध प्रतिमा भेंट की
मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा पर चीवर अर्पित किया। भन्ते ने प्रधानमंत्री को बुद्ध की प्रतिमा भेंट की। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें स्वस्थ रहने को कहा। उन्होंने भन्ते जीको कहा कि आप लोगों से हमें प्रेरणा मिलती है। मंदिर दर्शन के बाद फिर गोल्फ कार्ट से निकले। जनप्रतिनिधियों से अभिवादन करते हुए एयरपोर्ट की तरफ शाम करीब 5 बजकर 35 मिनट पर निकले। इसके बाद शाम करीब 5 बजकर 50 मिनट पर लखनऊ के लिए रवाना हुए।
इन चार तस्वीराें में देखिए , प्रधानमंत्री माेदी कुशीनगर में महापरिनिर्वाण मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
पहली बार बुद्ध जयंती पर आए हैं पीएम मोदी
यह पहला अवसर है जब 2566 वीं बुद्ध जयंती को यादगार बनाने के लिए प्रधानमंत्री कुशीनगर आए हैं। बुद्ध पूर्णिमा का बौद्ध जगत में विशेष महत्व है। इस तिथि को लुंबिनी में बुद्ध का जन्म हुआ था। बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति भी पूर्णिमा तिथि को ही हुई थी। उनका निर्वाण भी इसी तिथि को हुआ था। बौद्ध धर्मगुरुओं ने इसे त्रिविध पावन बुद्ध पूर्णिमा का नाम दिया। दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी इस तिथि को पर्व के रूप में उल्लास के साथ मनाते हैं। कुशीनगर में भी बुद्ध जयंती समारोहपूर्वक मनाई जाती है।
बुद्ध के सहारे संदेश देने की कोशिश
गौतम बुद्ध के तीन महत्वपूर्ण स्थल भारत में हैं। महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में है। पहला उपदेश स्थल सारनाथ वाराणसी में हैं तो वहीं ज्ञान प्राप्ति स्थल बोध गया में है। लुंबिनी सहित यह सभी स्थल दुनिया भर के बौद्ध श्रद्धालुओं का केंद्र हैं। भारतीय बौद्ध सर्किट में आने वाले विभिन्न देशों के श्रद्धालु नेपाल भी जाते हैं। नेपाल जाने वालों में भारतीय बौद्धों का भी एक बड़ा वर्ग है। कुछ समय पहले भारत और जन्मस्थली नेपाल को रेलवे से जोड़ने की चर्चा जोरों पर थी।
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