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डाउनलोड करेंहाटा तहसील क्षेत्र में किसानों की सबसे बड़ी समस्या है नहरों में पानी का न आना, जबकी हाटा क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा हुआ है। किसानों को धान की बेहन (नर्सरी) गिराने का समय हो गया है। किसानों को पानी की सख्त आवश्यकता है जब कि नहरें अभी भी सुखी घास- फूस और झाड़ियों से ढकी हुई है। किसान मजबूर होकर महंगा डीजल खरीद पंप सेट से पानी चला धान की नर्सरी गिरा रहा है।
15 मई से 20 जून तक गिराई जाती है धान की नर्सरी प्रत्येक दिन चलाना पड़ता है पानी
हाटा तहसील क्षेत्र की 70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है किसान धान, गेहूं और गन्ना की फसल भरपूर मात्रा में उगाते हैं। धान की फसल उगाने के लिए सबसे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है। हाटा तहसील क्षेत्र में सिंचाई की पूर्ति के लिए नहरों का जाल बिछा हुआ है। लेकिन अभी तक इन नहरों में पानी न आने से नहरों में धूल उड़ रहा है और घास- फूस और झाड़ियां उग आई हैं।
जब कि धान की नर्सरी गिराने का समय 15 मई से 10 जून तक उपयुक्त माना जाता है। गिराई गई धान की नर्सरी में प्रत्येक दिन सिंचाई की आवश्यकता होती है जिसको पूरा करने के लिए किसानों को पंप सेट का सहारा लेना पड़ रहा है। बढ़ती डीजल की महंगाई किसानों की कमर तोड़ दे रही है। किसानों को इस परेशानी से निजात मानसून के आगमन के साथ धान की रोपाई के बाद ही मिलेगी।
सैकड़ों गांव की हजारों एकड़ खेतों की सिंचाई नहर के भरोसे
हाटा रजवाहा एवं गणेशपुर राजवाह नहर से गणेशपुर बिंद्रावन, मिश्रौली, बेलवा बलुवा, लेहनी, खागी मुंडेरा, बरवां, पैकौली जगदीशपुर बंचरा समेत सैकड़ो गांवो हजारों एकड़ खेती की सिंचाई गणेशपुर और हाटा जवाहर से निकली छोटी-छोटी नहरों के माध्यम से खेती की सिंचाई नहर के पानी पर निर्भर है।
महंगा डीजल तोड़ रही है किसानों की कमर
नहर में समय से पानी न आने से जहां सैकड़ों गांव की हजारों एकड़ खेती सिंचाई के अभाव में प्रभावित हो रही है। वहीं गरीब किसानों को महंगा डीजल पंप सेट में जलाकर खेतों की सिंचाई कर धान की नर्सरी गिरानी पड़ रही है। नहर में पानी न आने पर दिग्विजय, सुरेश यादव, मुन्ना सिंह, बांके सिंह, सानू गुप्ता आदि किसानों ने बताया कि कुछ नहरों में हेड से टेल तक पानी पहुंचता ही नहीं है। जिस समय नहरों में पानी होनी चाहिए उस समय नहरों में धूल उड़ रहा है। झाड़ियां उगी हुई है। मानसून आने के साथ ही नहरों में भी पानी आ जाता है जब कि उस समय पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
नहरों में समय से पानी ना आने के कारण फसल उत्पादन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। पानी के अभाव में किसान सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाओं द्वारा दोहरे फसल उत्पादन का लाभ भी नहीं ले पाते हैं। क्यों कि पानी के बिना जीवन के साथ- साथ खेती- बारी भी संभव नहीं है।
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