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डाउनलोड करेंकौशांबी में पुलिस महकमे की लापरवाही का मामला सामने आया है। महकमे में वीआरएस लेने वाले सिपाही को उसकी बनने वाली पेंशन से कम रकम मिल रही है, जिससे उसे हर महीने 8 हजार का नुकसान हो रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि महकमे में बाबुओं की लचर व्यवस्था के कारण यह मामला 4 साल से लंबित है। वहीं एएसपी ने मामले को लेकर अनभिज्ञता जताई है।
2018 में लिया था वीआरएस
जानकारी के मुताबिक, जौनपुर जिले के रामपुर दमोदरा चौर निवासी दशरथ लाल ने पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर 20 साल सेवा की। बच्चे बड़े हुए तो दशरथ ने रिटायर्ड होने के पहले वीआरएस 31 दिसंबर 2018 को ले लिया। रिटायर्ड सिपाही दशरथ सिंह ने बताया कि 2018 में जब उसने वीआरएस लिया था, उस समय उसका अंतिम वेतन 36400 रुपए दिया गया, लेकिन विभाग के बाबुओं ने उसकी 21500 रुपए के न्यूनतम वेतन के आधार पर पेंशन बना दी। इसके चलते उसे हर माह मिलने वाली पेंशन और भत्ते में 8 हजार रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
बाबुओं ने आगे नहीं बढ़ाई फाइल
पीड़ित ने इसकी शिकायत का एक प्रार्थना पत्र एसपी कौशांबी को भेजा, जिसे दुरुस्त करने का आदेश देकर तत्कालीन एसपी प्रदीप गुप्ता अंतिम वेतन दिए जाने की संस्तुति कर दी, जिसमें अंतिम वेतन के आधार पर पेशन को मान्य होने का आधार बनाया गया है। बावजूद इसके पुलिस ऑफिस के बाबुओं ने पीड़ित की पेंशन दुरुस्तीकरण की अपील फ़ाइल को कार्यवाही के लिए उच्चाधिकारियों को नहीं भेजा।
टेबल पर धूल फांक रही फाइल
दशरथ सिंह का आरोप है कि एसपी दफ्तर के बाबुओं की लापरवाही से उसकी पेंशन से जुड़ी अपील फाइल 4 साल से कौशांबी पुलिस महकमे के बाबुओं के टेबल पर धूल फांक रही है। अभी तक उसे पुलिस महानिरीक्षक के दफ्तर अनुमोदन के लिए नहीं भेजी गई। पीड़ित ने इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन पुलिस दफ्तर के बाबुओं ने फाइल आगे नहीं भेजी। आरोप है कि अदालती कार्रवाई से बचाने के लिए अब विभाग के संबंधित क्लर्क उस पर न्यूनतम वेतन पर पेंशन लेने की रजामंदी के कागज पर दस्तखत का दबाव बना रहे हैं।
मामले को लेकर एएसपी समर बहादुर ने बताया कि प्रकरण की जानकारी उन्हें नहीं है। किसी रिटायर्ड पुलिसकर्मी की पेंशन से जुड़ा किसी मामले का निस्तारण नहीं हुआ है तो उसे नियमानुसार जल्द निस्तारित कराया जाएगा।
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