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डाउनलोड करेंकानपुर शहर के आर्य नगर सीट से भाजपा ने सलिल के टक्कर का कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा और पार्टी इस सीट पर कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहती है। इसके चलते प्रदेश की पहली ऐसी सीट है। जिस पर एमएलसी सलिल विश्नोई को टिकट देने का फैसला प्रदेश नेतृत्व ने लिया है। अब केंद्रीय चुनाव कमेटी की मुहर लगने के बाद लिस्ट में नाम जारी होगा।
सलिल के कद का नहीं मिला दूसरा प्रत्याशी, सर्वे में भी रहे टॉप पर
आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी एमएलसी को विधानसभा मैदान में क्यूं उतारा जा सकता है, लेकिन ये बात सच है। आर्य नगर सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता सलिल विश्नोई की टक्कर का कोई नेता नहीं मिल रहा है। इसलिए प्रदेश नेतृत्व ने कानपुर की आर्य नगर सीट से सलिल विश्नोई का नाम फाइनल करके केंद्रीय चुनाव कमेटी को भेज दिया है। उनका नाम फाइलन करने के पीछे की वजह बताई जा रही कि कानपुर में वह वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके कद का कोई दूसरा प्रत्याशी नहीं है। इतना ही नहीं लगातार तीन बार आर्य नगर सीट से विधायक रहे, लेकिन दुर्भाग्य रहा कि मोदी लहर में 2017 में चुनाव हार गए थे। भाजपा के इंटरनल सर्वे में भी उनका नाम टॉप पर रहा है। इसलिए बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर से आर्य नगर सीट से प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है।
2017 का चुनाव हारने के बाद भी मिला पद और बढ़ा कद
सलित विश्नोई जनरलगंज और आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के अमिताभ वाजपेयी से करारी हार का सामना करना पड़ा।आर्यनगर से चुनाव हारने के बाद पार्टी ने सलिल विश्नोई को नजर अंदाज करने के बजाए पार्टी का महामंत्री बना दिया। इतना ही नहीं राज्यसभा भेजने के साथ ही पार्टी और संगठन में कई अहम जिम्मेदारियां दी। विश्नोई ने संघ और संगठन के लिए जी-जान से काम किया है।
महाना के कद के दूसरे बड़े नेता हैं सलिल
यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के बाद सलिल विश्नोई कानपुर के दूसरे नेता हैं। जिनकी भाजपा और संघ के अंदर अच्छी पकड़ है। जानकारों का कहना है कि योगी सरकार में सलिल को मंत्री बनना तय था, लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद राज्यसभा चुनाव आ गए और भाजपा ने इन्हें कमल का सिंबल थमा दिया। सलिल विश्नोई पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। कहा जाता है कि बतौर संघ प्रचारक जब भी पीएम नरेंद्र मोदी जब भी कानपुर आते थे तो विश्नोई को तरजीह देते थे।
2002 में चुने गए विधायक
सलिल विश्नोई 2002 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीत कर उत्तर प्रदेश की विधानसभा पहुंचे थे। काम के बल पर 2007 में दोबारा भी चुनाव जीते। इसके बाद नए परसीमन में सलिल बिश्नोई का निर्वाचन क्षेत्र जनरलगंज से बदल कर आर्य नगर हो गया। अखिलेश की लहर के बाद भी सलिल 2012 में तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीत गए। लेकिन 2017 में वैश्य समाज की नाराजगी के चलते चुनाव हार गए। मगर अब एक बार फिर उन्होंने सबको मैनेज कर लिया है।
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