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डाउनलोड करेंसदियां शुरू होते ही कानपुर में पॉल्यूशन का स्तर बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है। इस पर निगरानी के लिए स्मार्ट सिटी के तहत 50 लोकेशन पर पॉल्यूशन सेंसर लगाए हैं। लेकिन यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने इस पर सवाल उठाए हैं। कहा कि सेंसर किसकी परमीशन से लगाए गए। यूपीपीसीबी और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) से इसकी परमीशन तक नहीं ली गई है।
टेक्नोलॉजी को भी समझाया जाए
सवाल उठाते हुए यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डाॅ. अनिल माथुर ने बताया कि विभाग द्वारा जो सेंसर लगाए जाते हैं, वो करीब 1 से डेढ़ करोड़ रुपए के आते हैं। स्मार्ट सिटी के तहत लगाए गए पॉल्यूशन सेंसर बेहद छोटे हैं। इससे पॉल्यूशन का सही आंकलन होना भी समझ से परे है। इससे कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इन सेंसर की टेक्नोलॉजी को समझना बेहद जरूरी है कि आखिर ये काम कैसे करते हैं।
परमीशन लेना अनिवार्य
डाॅ. अनिल माथुर ने बताया कि स्मार्ट सिटी को लेटर लिखकर पॉल्यूशन सेंसर से संबंधित पूरी जानकारी मांगी जाएगी। यूपीपीसीबी और सीपीसीबी से परमीशन लेने के लिए भी लेटर लिखा जाएगा। वहीं, कमिश्नर डाॅ. राज शेखर ने भी इस संबंध में दोनों ही विभागों से जानकारी मांगी है।
अर्बन ट्री भी पड़ा हुआ है बंद
बीते साल सर्दियों में पॉल्यूशन को खत्म करने के लिए ब्रह्मनगर चौराहे पर लगाया गया प्रदेश को अर्बन ट्री भी बंद पड़ा है। दावा किया गया था कि प्रति घंटे 6 हजार क्यूबिक मीटर हवा को प्यूरीफाई कर सकता है। लेकिन, इस कॉन्सेप्ट को लेकर आईआईटी ने भी अपनी हरी झंडी नहीं दी है। इस कारण से ये बंद पड़ा है।
इन प्रमुख स्थानों पर लगे सेंसर
सिंहपुर मोड़, नरौना चौराहा, जरीबचौकी चौराहा, आईआईटी गेट तिराहा, रावतपुर तिराहा, नौबस्ता चौराहा, गुरुदेव पैलेस चौराहा, भैरोंघाट चौराहा, कोयला नगर, मरियमपुर चौराहा, मोतीझील, ग्रीनपार्क चौराहा, गोल चौराहा समेत अन्य।
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