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डाउनलोड करेंहाथरस जिले के हसायन क्षेत्र में किसान गुलाब की खेती करते हैं। यहां के गुलाब से निकले इत्र की खुशबू दूर-दूर तक महकती है। ज्यादातर किसानों से लेकर व्यापारियों का प्रमुख व्यवसाय गुलाब और गुलाब पर आधारित उद्योग हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये उद्योग मंदी की कगार पर पहुंचता जा रहा है। गुलाब की खेती करने वाले किसानों और व्यापरियों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। व्यापारियों का कहना है कि कभी यहां 50 से 60 फिक्ट्रियां हुआ करती थीं, लेकिन अब 10 से 11 हैं। सरकार गुलाब जल पर 18% टैक्स लगा रही है, पहले यह नहीं लगाया जाता था।
इन राज्यों से आते हैं व्यापारी
बता दें कि हसायन क्षेत्र गुलाब की खेती और इत्र बनाने के लिए मशहूर है। कन्नौज आदि क्षेत्रों के व्यवसायी यहां फैक्ट्री लगाकर इत्र बनाते हैं। क्षेत्र में गुलाब की खेती चारों ओर लहलहाती है। इत्र के लिए बेहतरीन क्वालिटी के गुलाब की खेती होती है। सीजन में कन्नौज, लखनऊ, अजमेर, पुष्कर, हैदराबाद, दिल्ली और बेंगलुरु आदि क्षेत्रों के इत्र के व्यापारी यहां आकर फैक्ट्री लगाते हैं और गुलाब खरीद कर इत्र बनाते हैं। फैक्ट्रियों में गुलाब के फूलों को बड़ी-बड़ी देगों में भरकर आसवन विधि से इत्र बनाया जाता है। हालांकि क्षेत्र में इत्र का कारोबार अब मंदा होता जा रहा है। कभी यहां 50 से 60 फिक्ट्रियां हुआ करती थीं, लेकिन अब 10 से 11 हैं।
गुलाब जल पर भी सरकार लगा रही टैक्स
इत्र कारोबारी रिंकू ठाकुर ने बताया कि गुलाब की खेती मार्च से अप्रैल तक होती है। जुलाई से दिसंबर तक दूसरी खेती होती है। गुलाब से उनके यहां गुलाबरूह, गुलाब जल, गुलुकंद और गुलाब अत्तर आदि तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर सरकार टैक्स में थोड़ी रियायत कर दे तो व्यापार को और फायदा हो सकता है। फिलहाल 18% का टैक्स लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि इससे पहले की सरकार में गुलाब जल पर टैक्स नहीं था, लेकिन अब है। बाकी चीजों पर केवल 5% टैक्स लिया जाता था, लेकिन गुलाब पर 18% टैक्स लिया जा रहा है।
करीब 200 साल पुराना है यह व्यापार
रिंकू ठाकुर ने बताया कि इस समय 4 हजार से लेकर 5 हजार रुपए मन के हिसाब से गुलाब को व्यापारी किसान से खरीद रहे हैं। यह व्यापार लगभग 150 से 200 साल पुराना है। अगर हम हाथरस जिले की बात करें तो करोड़ों रुपए का टर्नओवर प्रतिवर्ष यहां से किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार अगर गेहूं और धान की तरह गुलाब को खरीद कर खुद विदेशों में सप्लाई करे तो व्यापार में और बढ़ोतरी होगी।
कृषि विभाग द्वारा नहीं लगाई जाती कार्यशाला
गुलाब की खेती करने वाले पुष्कर कुमार ने बताया कि इस बार गुलाब की खेती में पिछली बार की अपेक्षा मजदूरी रेट बढे हैं। वहीं 8 से 10 % तक नुकसान नील गाय आदि कर देती हैं। कृषि विभाग द्वारा इस खेती के लिए कभी भी कार्यशाला नहीं लगाई जाती और न ही कोई जानकारी दी जाती है। कभी किसानों से संवाद कर यह भी नहीं बताया जाता है कि कैसे गुलाब की खेती की पैदावार अच्छी हो। उन्होंने बताया कि जिले के हसायन, वरमाला, देवकरण आदि क्षेत्र में खेती की जाती है। किसानों से कच्चा माल खरीद कर व्यापारी अपने प्लांट में ले जाते हैं। यहां इत्र, परफ्यूम, गुलकंद, साबुन, गुटका, अगरबत्ती, धूप बत्ती और पान मसाला आदि सभी खुशबूदार चीजों में गुलाब का प्रयोग किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गुलाब से रूह तैयार कर सप्लाई की जाती है।
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