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डाउनलोड करेंसाल 2025 तक देश को टीबी से मुक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत क्षय रोगियों को बेहतर इलाज के लिए जनवरी 2022 से 10 जून तक जिले में कुल 813 टीबी रोगियों को गोद लिया है। मुख्यालय सहित सभी ब्लॉकों में भी टीबी रोगियों को गोद लेने का तेजी से कार्य चल रहा है। टीबी रोगियों को गोद लेने वालों में प्रशासनिक अधिकारी, स्वयं सेवी संस्थान, समाज सेवी आदि शामिल हैं।
सीएमओ डॉ. अनिल सागर वशिष्ठ ने बताया टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक दूसरे से फैलती है। इसका इलाज नहीं होने पर परिवार के अन्य सदस्यों में भी बीमारी होने की संभावना रहती है। अगर यदि परिवार में कोई टीबी का मरीज है तो उससे परिवार के अन्य सदस्यों को भी अलग रखे। उन्होंने कहा कि टीबी के लक्षणों और उपचार की सही जानकारी जनमानस को होना बहुत आवश्यक है।
हर महीने 500 रुपये दिया जा रहा भत्ता
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. प्रवीण भारती ने बताया कि टीबी रोगियों को 500 रुपये प्रतिमाह पोषण भत्ता के रूप में पूर्व की तरह से दिया जा रहा है। वहीं गोद लेने वाली संस्थाओं के द्वारा टीबी रोगी को हर महीने 1 किलो मूंगफली,1 किलो भुना चना, 1 किलो गुड़, 1 किलो सत्तू आदि स्वस्थ होने तक दिया जाता रहेगा।
टीबी के लक्षण
इन केंद्रों पर होती है, सक्रिय बलगम जांच केन्द्र
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