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डाउनलोड करेंगोरखपुर मंडल के चार जिलों गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज में नाबालिग बेटियों के ब्वायफ्रेंड के साथ भागने की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। पुलिस के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2022 में 1 जनवरी से 15 अप्रैल तक नाबालिग बेटियों के भागने की 500 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। यानी हर दिन 5 बेटियां घर छोड़कर प्रेमी संग फरार हो रही हैं।
सभी में पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ये आंकड़ें अभी अप्रैल तक के ही हैं। अगर यही आलम रहा तो इस साल के अंत तक यह आंकड़ा 2000 से ज्यादा हो जाएगा। जो पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से सबसे अधिक होगा।
पिछले तीन साल में मंडल के चार जिलों में बेटियों के भागने की घटनाएं
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन साल में रेंज के चार जिलों में वर्ष 2019 में 730 नाबालिग लड़कियां भाग गईं , 2020 में 384 और 2021 में महज 330 ही आंकड़ा था। वहीं जोन के 11 जिलों में आंकड़ों को देखें तो 2019 में 1572, 2020 में 1276 और 2021 में 1278 नाबालिगों के भागने की घटनाएं हुई थीं, जिसमें अपहरण का केस दर्ज हुआ था।
तीन बार भाग चुकी है एक लड़की
पुलिस ने बताया कि खोराबार इलाके की एक नाबालिग लड़की अपने प्रेमी संग तीन बार भाग चुकी है। पहली बार पुलिस उसे चंडीगढ़ से लाई। दूसरी बार लुधियाना और तीसरी बार गुड़गांव से लाई। इसके बाद पुलिस ने घरवालों को सलाह दी कि प्रेमी से ही उसकी शादी करा दें। इसके बाद परिजनों ने दोनों की शादी करा दी।
कोरोना काल में आई थी कमी
पुलिस के अनुसार, पिछले दो साल में कोरोना का कहर रहा। लॉकडाउन लगा रहा। इससे नाबालिग बेटियों के प्रेमी संग भागने यानी अपहरण के केस में कमी आई थी, लेकिन जैसे ही कोरोना का कहर कम हुआ, इस वर्ष यानी 2022 में 15 अप्रैल तक 500 लड़कियां भाग गईं। पुलिस का कहना है कि खास बात यह है कि अधिकांश बेटियां ग्रामीण क्षेत्रों की भाग रही हैं। शहरी इलाकों की बेटियों के भागने की संख्या कम है।
हैदराबाद, पूना, मुंबई जैसे शहरों में जा रही बेटियां
पुलिस के अनुसार, नाबालिग बेटियां प्रेमी संग घर छोड़कर जिले से काफी दूर निकल जा रही हैं। ये अक्सर हैदराबाद, लुधियाना, चंडीगढ़, दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई, पूना, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में चली जा रही हैं और प्रेमी संग रह रही हैं। इससे पुलिस को बरामद करने में दिक्कत आ रही है।
अपने जेब से खर्च कर लाती है पुलिस
पुलिसवालों की मानें तो नाबालिग बेटियों को बरामद करने के आने-जाने के खर्च के लिए जो फंड आता है, वह नाकाफी है। महज 500 रुपए यात्रा भत्ता के रूप में मिलता है। वह भी बरामद कर लाने के बाद फार्म भरकर देना पड़ता है। इसके बाद पैसे मिलते हैं। जबकि एक बेटी को बरामद कर वापस लाने में 10 से 20 हजार खर्च होता है। इसे विवेचक को अपने जेब से खर्च करना पड़ता है। क्योंकि ये नाबालिग बेटियां होती हैं तो विवेचक अपने साथ दो महिला पुलिसकर्मियों को भी ले जाता है। ट्रेन का किराया, बड़े शहर में होटल के अलग-अलग रूम का किराया, खाने आदि के रूप में उसका खर्च होता है।
अधिकारी भेज चुके हैं शासन को पत्र
नाबालिग बेटियों के इतने बड़े स्तर पर भागने की बढ़ती शिकायतें और उन्हें बरामद करने में आ रही दिक्कतों के समाधान के लिए एडीजी जोन अखिल कुमार और डीआईजी जे. रविंदर गौड़ शासन को पत्र लिखकर फंड बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। हालात ये हैं कि नाबालिग बेटियों की बरामदगी के लिए अलग से विंग बनाने की भी जरूरत महसूस की जा रही है।
1 साल से नहीं बरामद हुई नाबालिग
खोराबार इलाके की एक नाबालिग वर्ष 2021 में प्रेमी संग फरार हो गई। परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया। पुलिस उसकी बरामदगी में लगी रही। बाद में पता चला कि वह बालिग है और अपने प्रेमी से शादी कर रह रही है। इसके बाद पुलिस ने परिजनों को समझाकर उसे प्रेमी संग रहने दिया।
19 मई को इन्हें बरामद कर लाई पुलिस
गोरखपुर जिले की पुलिस ने 19 मई को 3 नाबालिग बेटियों को बरामद किया है। पुलिस ने इनके अपहरणकर्ता प्रेमियों को भी गिरफ्तार किया है। सिकरीगंज पुलिस ने 19 मई को अपहरण के आरोपी बुधनापुर निवासी धीरज को गिरफ्तार कर किशोरी को बरामद किया। वह प्रेमी संग दिल्ली चली गई थी। इसी प्रकार हरपुर बुदहट पुलिस ने कुईकोल निवासी आकाश को गिरफ्तार कर किशोरी को बरामद किया। वहीं बेलघाट पुलिस ने अपहरण के आरोपी अजीत उर्फ आकाश को गिरफ्तार कर नाबालिग बेटी को बरामद किया है। इसी प्रकार रोज दो से तीन अपहरणकर्ता प्रेमी को गिरफ्तार कर नाबालिग बेटियों को पुलिस बरामद करती है।
डीआईजी रेंज जे. रविंदर गौड़ का कहना है कि पुलिस लगातार नाबालिग बेटियों को बरामद करने का काम कर रही है। सभी शिकायतों पर सक्रियता से कार्रवाई कराई जाती है। इस वर्ष अभी तक संख्या कुछ बढ़ी है, लेकिन सभी को बरामद करने का निर्देश दिया है। फंड आदि की व्यवस्था के लिए पत्र लिखा गया है। टीम बनाकर नाबालिग बेटियों को बरामद करने का निर्देश दिया है। वे खुद इसकी निरंतर समीक्षा कर रहे हैं।
पिछले तीन साल में जोन के 11 जिलों में नाबालिग लड़कियों के भागने के आंकड़े
जनपद | वर्ष 2021 | वर्ष 2020 | वर्ष 2019 |
देवरिया | 24 | 33 | 128 |
गोरखपुर | 235 | 252 | 360 |
कुशीनगर | 44 | 74 | 227 |
महराजगंज | 27 | 25 | 15 |
बस्ती | 105 | 80 | 89 |
संतकबीरनगर | 93 | 73 | 83 |
सिद्धार्थनगर | 102 | 87 | 63 |
गोंडा | 126 | 140 | 132 |
बलरामपुर | 83 | 67 | 95 |
बहराइच | 362 | 364 | 307 |
श्रावस्ती | 77 | 81 | 73 |
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