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डाउनलोड करेंतहसील प्रांगण में जिलाधिकारी, परगनाधिकारी मुख्य राजस्व अधिकारी और सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने लोगों को घरौनी का वितरण किया। जिलाधिकारी ने बताया कि इससे संपत्ति पर अवैध कब्जे को लेकर झगड़े-फसाद की गुंजाइश नहीं रहेगी। ग्रामीणों को घरौनी मुहैया कराने की प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए शासन ने उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया नियमावली के तहत ये प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जा रहा है।
किसानों के पास घर के भी होंगे कागजात
किसान के पास खेती के कागजों के साथ-साथ घर के कागज भी सरकारी रिकार्डों में दर्ज होंगे, जिससे ग्रामीण एक क्लिक में तहसील से अपने घर के कागजात निकाल सकेंगे। स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को दी जाने वाली घरौनी में हर मकान का यूनीक आइडी नंबर दर्ज होगा। 13 अंकों के इस आइडी नंबर में पहले छह अंक गांव के कोड को दर्शाएंगे। अगले पांच अंक आबादी के प्लांट नंबर को दर्शाएंगे और आखिरी के दो अंक उसके संभावित विभाजन को दर्शाएंगे।
घरौनी योजना का फायदा
स्वामित्व योजना का फायदा यह होगा कि गांवों में संपत्तियों पर कब्जे को लेकर झगड़े-फसाद में कमी आएगी। गांव के लोग अपने मकान की घरौनी को बंधक रखकर बैंक से अपनी जरूरतों के लिए कर्ज ले सकेंगे। ड्रोन फोटोग्राफी के आधार पर आबादी क्षेत्र का मानचित्र तैयार कर उसमें दर्शाए गए मकानों और अलग दर्शाए गए स्थानों की नंबरिंग की गई है।
घरौनी पर मिल सकेगा लोन
गांवों की कृषि भूमि, ग्रामसभा, बंजर भूमि का रिकार्ड रेवन्यू विभाग के पास होता है। कृषि भूमि का मालिकाना हक दिखाने के लिए खसरा खतौनी बनाई जाती है, लेकिन आबादी में बने घरों के मालिकाना हक के लिए कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं होता। इससे तमाम परेशानियां सामने आती हैं। घरों का बंटवारा होने के बाद भी विवाद समाप्त नहीं होता है। इसके अलावा, गांवों के घरों की यूनिक आईडी नहीं होती। मालिकाना हक नहीं होने से घरों को बैंकों में मॉर्गेज पर नहीं रखा जा सकता है। इस योजना के तहत मालिकाना हक मिलने के बाद खतौनी की तर्ज पर घरौनी बनेगी।
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