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डाउनलोड करेंलाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में भौतिक विज्ञान विभाग एवं आइक्यूएसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विद्वानों एवं शोधकर्ताओं का जमावड़ा रहा। प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी, गोंडा ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रायोजक एसबीआई के मैनेजर आर. के. सिंह और सत्य सरोज फाउंडेशन की संस्थापक प्रबंध समिति की उपाध्यक्ष वर्षा सिंह का अभिनंदन किया।
ऊर्जा के जितने आगम हैं, उनसे जरूरतों को पूरा करना होगा
पांचवें तकनीकी सत्र में आमंत्रित विद्वान प्रो. डीके द्विवेदी, डीन एवं भौतिक विज्ञान विभाग, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर ने सौर ऊर्जा आधारित प्रौद्योगिकी एवं उपकरण विषय पर अपना महत्त्वपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सूर्य अक्षय ऊर्जा का स्रोत है, इसलिए वैज्ञानिकों को अपना अनुसंधान इस ऊर्जा पर केंद्रित करना ही होगा। वैकल्पिक ऊर्जा के जितने आगम हैं, उन सबसे ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करना होगा। इस सत्र की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रो. रवींद्र कुमार ने की।
दर्जनों शोधकर्ताओं ने दी प्रस्तुति
अमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ से कमलेश कुमार सिंह और दीपेंद्र पांडेय, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से अर्पित स्वरूप माथुर, विकास कुमार राजपूत,प्रतीक अरोड़ा, पुरुषोत्तम कुमार,विकास कुमार, प्रेम प्रताप सिंह, अभिलाषा सिंह, राम लखन सिंह, भारती शर्मा सहित दर्जनों शोधकर्ताओं ने प्रस्तुति दी। राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए विद्वानों का अकादमिक परिचय राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक प्रो. जितेंद्र सिंह ने दिया।
अतिथियों को किया गया धन्यवाद
टीडी कॉलेज जौनपुर से आए प्रो. सुदेश कुमार सिंह और डॉ. अमित यादव, एमएलके कॉलेज बलरामपुर के प्राचार्य प्रो. जेपी पांडेय, प्रो. पीके सिंह, प्रो. आलोक शुक्ल ने उपस्थित होकर संगोष्ठी को समृद्ध किया। साकेत कॉलेज, अयोध्या के डॉ. अरविंद शर्मा ने तृतीय तकनीकी सत्र की सह अध्यक्षता की। सभी आगत अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन भौतिक विज्ञान के असि. प्रोफेसर संतोष कुमार श्रीवास्तव ने किया।
तकनीकी सत्रों का संचालन एमएससी उत्तरार्द्ध, भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी हर्ष श्रीवास्तव और वैभव टंडन ने किया। तकनीकी टीम ने कार्यक्रम को लाइव किया और ऑनलाइन शोधार्थियों की प्रस्तुति करवाई। 467 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन/ऑफ़लाइन पंजीकरण कराया। 65 शोध सार प्राप्त हुए। दो दिवसीय कांफ्रेंस में लगभग सौ शोधकर्ताओं ने अपने शोध-पत्रों का वाचन किया।
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