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डाउनलोड करेंनेपाल से सरयू नदी में 2.58 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से घाघरा नदी खतरे के निशान से 9 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, तो वहीं तरबगंज तहसील की दर्जनों गांव में बाढ़ के हालात उत्पन्न हो गए हैं। ऐली परसौली गांव के 5 मजरों में रहने वाले 350 परिवार बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कई मजरे टापू बन गए तो कई घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
हालात बेकाबू होते देख लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन कर रहे हैं। यह तीसरी बार है, जब लोग बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं। सरकारी राहत के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ का पानी तरबगंज तहसील के दर्जनों गांव में तबाही मचाने लगा है। जिससे माझा वासियों में दहशत का माहौल है। ऐली परसोली के केवटाही, नईबस्ती व गोड़ियाना समेत 5 मजरे बाढ़ के चपेट में आ चुके है। वहीं कई मजरे चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। कई लोगों के घरों में भी पानी घुस चुका है।
बाढ़ पीड़ितों के लिए अभी तक नहीं पहुंचाई गई राहत सामग्री
बाढ़ पीड़ित अंकित कुमार ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए नावें लगाई गई हैं। फिलहाल प्रशासन की तरफ से बाढ़ पीड़ितों के लिए अभी तक कोई भी राहत सामग्री नहीं पहुंचाई गई है। दूसरी तरफ ग्राम पंचायत गढ़ी में भी 4 मजरे बाढ़ की चपेट में हैं। नाव की व्यवस्था की गई है। यहां करीब डेढ़ सौ परिवार बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। परास पट्टी मझवार , पुरवार, बहादुरपुर के हजारों परिवार बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
पीड़ित परिवार पलायन करने को विवश
इस बाढ़ से पीड़ित परिवार सुरक्षित स्थानों की तरह पलायन करने को विवश हैं। वहीं बाढ़ के कारण मवेशियों के लिए चारे का संकट भी खड़ा हो गया है। बाढ़ पीड़ितों को अपने परिवार के भरण-पोषण के साथ ही मवेशियों के लिए चारे की चिंता सताने लगी है। अधिकांश फसलें पिछली बार में ही तबाह हो गई थी। जो बची भी हैं यदि फिर से बाढ़ आई तो सारी फसल बर्बाद हो जाएगी।
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