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डाउनलोड करेंमुहम्मदाबाद। गेहूं की फसल ज्यादातर खेतों में कट गयी है। वैज्ञानिकों की सलाह मानें तो खेत को परती छोड़ने के बजाय किसान थोड़ी सजगता दिखाते हुए खरीफ की बुआई से पहले खेतों का सदुपयोग कर सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बेहद कम लागत में किसान खाली पड़े खेतों में सनई या ढैंचा नस्ल की घास उगाकर मवेशियों के लिए चारा पैदा कर सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त मुनाफा होगा। इन घासों की बुआई के वैज्ञानिक विधि को समझने के लिए दैनिक भास्कर ने कृषि वैज्ञानिक प्रो. अवधेश कुमार से संपर्क किया।
अवधेश कुमार ने बताया कि किसान अपने खेतों की हल्की बुआई करके सनई, ढैंचा, नस्ल की घास उगा सकते हैं। प्रो. सिंह के अनुसार ढैंचा व सनई की बुआई करनी हो, तो खेतों को हल्का नम कर लेना मुफीद होता है। खेतों को नम करने के बाद 50 केजी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से बुआई कर दें। घास के बीजरोपण से पहले खेतों की जुताई बीज अंकुरण के लिए फायदेमंद बतायी गयी है।
खेत की बढ़ती है उर्वरा शक्ति
प्रो. सिंह ने बताया कि किसानों को हफ्ते में एक बार घास लगाये हुए खेतों की सिंचाई कर देनी चाहिए। ढाई महीने बीतने के बाद घासों की कटाई हसिया या किसी अन्य विधि से की जानी चाहिए। घासों की कटाई के बाद फार वालों हल से कर देनी चाहिए। कृषि वैज्ञानिक प्रो. अवधेश सिंह के अनुसार खाली पड़े खेतों में घास लगाने से नाईट्रोजन पोटास हासिल होता है। घासों के लगाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति और मिट्टी के जल रोकने की क्षमता बढ़ती। घास की फसल लगाने के बाद अगर धान की फसल लगाई जाए, तो धान की फसल से घास से ज्यादा दर्ज की जायेगी।
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