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डाउनलोड करेंदिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण घोटाले में अब 22 करोड़ रुपए का एक और घोटाला सामने आया है। पता चला है कि 23 साल पहले निरस्त हो चुकी सोसाइटी के नाम पर किसानों से सस्ते दाम पर जमीन खरीदकर कई गुना ज्यादा रेट पर उसे सरकार को बेच दिया गया। जिला प्रशासन ने समिति से जुड़े तीन लोगों पर सिहानी गेट पुलिस स्टेशन में FIR कराई है। आपको बता दें कि इस घोटाले में गाजियाबाद की पूर्व जिलाधिकारी निधि केसरवानी के खिलाफ सस्पेंशन के लिए उप्र सरकार से केंद्र सरकार को पत्र लिखा जा चुका है।
22 करोड़ रुपए का है यह जमीन घोटाला
गाजियाबाद की ADM (प्रशासन) ऋतु सुहास ने बताया, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर स्थित गांव रसूलपुर सिकरोड़ और मटियाला के खसरा नंबरों की जांच की गई। जांच में पाया गया कि सहकारी समिति के माध्यम से किसानों से जमीन खरीदी गई थी। रजिस्ट्रार ऑफिस चिट फंड ने जिला प्रशासन को जानकारी दी कि उक्त समिति साल-1999 में निरस्त हो चुकी है।
इसके बावजूद समिति के अरुण गुप्ता, गोल्डी गुप्ता और अशोक ने NHAI की की धारा 3D लागू होने के बावजूद किसानों से जमीन खरीदकर अपने पक्ष में उसके बैनामे कर लिए और फिर इस जमीन को मोटे मुआवजे के लिए राज्य सरकार को बेच दिया। खरीद फरोख्त और बिक्री रेट में करीब 22 करोड़ रुपए का अंतर जांच में पाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस केस में तीनों आरोपियों के विरुद्ध 19 मई को FIR कराई गई है। इसके अलावा अन्य खसरा नंबरों की भी जांच की जा रही है, जिनमें और एफआईआर होने की आशंका है।
निधि केसरवानी के सस्पेंशन की हो चुकी है संस्तुति
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे 82 किलोमीटर लंबा है। 31.77 किमी हिस्सा गाजियाबाद में है। गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम-1956 की धारा-3ए की अधिसूचना 8 अगस्त 2011 को जारी हुई थी। धारा-3डी के तहत भूमि को अधिगृहित करने की अधिसूचना 2012 में जारी की गई। जबकि इस भूमि का अवार्ड 2013 में घोषित हुआ। धारा-3डी लागू होने के बाद किसान की जमीन को सरकार के अलावा कोई अन्य खरीद-फरोख्त नहीं सकता।
इसके बावजूद अधिकारियों ने अपने चहेतों को फर्जी कंपनियों के नाम पर सस्ती जमीनें खरीदवाईं और फिर सरकार ने उन जमीनों को कई गुना ज्यादा रेट पर खरीदकर मुआवजा बांट दिया। करीब 375 करोड़ रुपए के इस घोटाले में 16 दिन पहले योगी सरकार ने गाजियाबाद की पूर्व डीएम निधि केसरवानी के सस्पेंशन और रिटायर जिलाधिकारी विमल शर्मा पर एफआईआर की संस्तुति की थी। इसके बाद से भूमि घोटाले की परतें खोजी जा रही हैं। गाजियाबाद में इस एक्सप्रेस-वे के लिए 19 गांवों के 4794 किसानों की 296 हेक्टेयर जमीन ली गई थी। इसके लिए उन्हें 1400 करोड़ रुपए मुआवजा अब तक दिया जा चुका है।
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