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डाउनलोड करेंहरिद्वार से गंगनहर में पानी की आपूर्ति शनिवार को रोक दी गई है। इससे गाजियाबाद और नोएडा के लाखों परिवारों के सामने पानी का संकट खड़ा हो गया। हर साल दशहरे पर नहर बंद होती है। दिवाली पर शुरू हो जाती है। इस बार दशहरे से करीब 12 दिन पहले बिना कुछ बताए नहर में पानी रोक दिया गया।
दो जिलों को होती है 150 क्यूसेक गंगाजल की सप्लाई
गाजियाबाद में दो जगहों पर गंगाजल प्लांट लगे हैं। एक सिद्धार्थ विहार और दूसरा प्रताप विहार में है। गंगाजल से नहर और फिर पाइप लाइन से पानी इन दोनों प्लांट तक आता है। यहां ट्रीटमेंट के बाद नोएडा को 100 क्यूसेक और गाजियाबाद को 50 क्यूसेक गंगाजल की आपूर्ति होती है। गाजियाबाद में इस गंगाजल की सप्लाई कौशांबी, वसुंधरा, इंदिरापुरम, वैशाली और सिद्धार्थ विहार जैसे इलाकों में होती है।
प्रोजेक्ट मैनेजर बोले- बिना सूचना दिए बंद की गई नहर
गंगाजल प्लांट के प्रोजेक्ट मैनेजर उनमय शुक्ला ने बताया, "शनिवार को अचानक हरिद्वार से गंगनहर में पानी की सप्लाई बंद कर दी गई। शुरुआत में यह लगा कि पानी का प्रेशर कम है। आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई, तो प्लांट की तरफ से फोन करके सिंचाई विभाग से पूछा गया। तब पता चला की पानी की सप्लाई रोक दी गई है। इसके पीछे की वजह अभी तक भी नहीं बताई गई है। न ही ये बताया गया है कि दोबारा पानी आपूर्ति कब शुरू होगी।
सिल्ट सफाई के लिए हर साल दशहरे पर बंद होती थी नहर
नहर में पानी आपूर्ति बंद करने के लिए इस बार जैसा पहले कभी नहीं हुआ। वरना हर साल पहले नोटिस जारी होता था। नोटिस में बताया जाता था कि नहर कब से कब तक बंद रहेगी। इस दौरान नहर में सिल्ट की सफाई होती थी। हर साल बारिश की वजह से पहाड़ों से रेत, मलबा नहर में आ जाता था। इससे नहर की मशीनरी खराब होने का डर रहता था, इसीलिए हर साल सिल्ट की सफाई होती है। इस बार ऐसा कुछ बताए बिना ही गंगनहर में पानी की सप्लाई बंद कर दी गई।
लोकल अथॉरिटी को करने होंगे प्रबंध, वरना बढ़ेगी परेशानी
आज गाजियाबाद और नोएडा में गंगाजल सप्लाई वाले इलाकों में पानी की दिक्कत रह सकती है। ऐसे में नोएडा अथॉरिटी और गाजियाबाद नगर निगम को ही पानी के इंतजाम करने होंगे। नोएडा में रोजाना 406 मिलियन लीटर पानी की सप्लाई है। इसमें 240 मिलियन लीटर गंगाजल और 160 मिलियन लीटर सामान्य पानी की सप्लाई है। आपको बता दें कि हर साल जब नहर बंद होती है तो इससे आश्रित रहने वाले लाखों घरों के लोग बेहद प्रभावित होते हैं। कई बार उन्हें डिब्बाबंद पानी पर आश्रित रहना पड़ता है।
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