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डाउनलोड करेंउत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद का नाम बदलने की मुहिम जोर पकड़ रही है। सामाजिक संस्था 'रसम' के आह्वान पर चार साल पहले शुरू हुए इस अभियान में अब तक 128 संगठनों ने नाम परिवर्तन का ज्ञापन उप्र सरकार को भेजा है। शहर में 100 हवन-यज्ञ किए जा चुके हैं। करीब सवा लाख लोगों ने टोल फ्री नंबर पर कॉल करके नाम परिवर्तन की मुहिम को समर्थन दिया है। करीब 26 ऐसे नाम सुझाए गए हैं, जिन्हें गाजियाबाद के स्थान पर बदला जा सकता है। इसमें सबसे प्रमुख गजप्रस्थ नगर है।
नाम परिवर्तन अभियान की दिसंबर-2020 को हुई थी शुरुआत
'रसम' के राष्ट्रीय संयोजक एडवोकेट संदीप त्यागी ने बताया, नाम परिवर्तन अभियान की शुरुआत 12 दिसंबर 2020 को हुई थी। उस दिन गाजियाबाद में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ कैलाश मानसरोवर भवन का शुभारंभ करने के लिए आए थे। पहला हवन दूधेश्वरनाथ मंदिर में हुआ था। तब से शहर के विभिन्न इलाकों में 100 हवन हो चुके हैं। संदीप त्यागी ने बताया, हमने नाम परिवर्तन अभियान से जुड़ने के लिए एक टोल फ्री नंबर जारी किया था। इस पर अब तक करीब सवा लाख कॉल्स आए हैं। जनपद के अधिकतर जनप्रतिनिधि इस मांग का समर्थन विभिन्न सदन में कर चुके हैं।
'रसम' संस्था ने शुक्रवार को इस बाबत एक ज्ञापन राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल को भी सौंपा है। इसमें गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ नगर करने की मांग की है। ज्ञापन में यह भी बताया है कि कुछ लोगों ने अपने घरों के बाहर स्वेच्छा से 'गजप्रस्थ नगर' लिखना शुरू भी कर दिया है। राज्यसभा सांसद ने इस मांग को जल्द ही सदन में उठाने का भरोसा संस्था को दिया है।
ये नाम सुझाए गए
गजप्रस्थ नगर, दूधेश्वरनाथ नगर, दुधेश्वरपुरम, हरनंदी नगर, हिंडन नगर, प्रगति नगर, विजयनगर, प्रकाशवीर शास्त्रीनगर, अग्रसेन नगर, अटल नगर, दुर्गाभाभी नगर, शिवाजी नगर, महाराणा प्रताप नगर, गंगानगर, परशुराम नगर, चाणक्य नगर, गायत्रीनगर, अब्दुल कलाम नगर जैसे कुल 26 नाम सुझाए गए हैं।
जनप्रतिनिधि पहले ही कर चुके हैं मांग
1740 में गाजी-उद-दीन ने बसाया था गाजियाबाद
विकिपीडिया के अनुसार, गाजियाबाद नगर की स्थापना 1740 में मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के वजीर गाजी-उद-दीन ने कोलकाता से पेशावर तक जाने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड पर की थी। उनके नाम पर इसे तब गाजी-उद-दीन नगर कहा जाता था। मुगलकाल में गाजियाबाद और इसके आसपास के क्षेत्र विशेषकर हिंडन के तट मुगल शाही परिवार के लिए पिकनिक स्थल थे। 1864 में गाजियाबाद में रेल आगमन हुआ। इसके बाद नगर के नाम को "गाजीउद्दीननगर" से छोटा कर "गाजियाबाद" कर दिया गया। कुछ लोगों का कहना है कि गाजी-उद-दीन एक क्रूर शासक था, जिसने यहां तबाही मचाई थी। इसलिए वे गाजियाबाद का नाम परिवर्तन चाहते हैं।
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