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डाउनलोड करेंदिल्ली से सटी नोएडा विधानसभा सीट अहम मानी जाती है। इस सीट पर शहरी वोटर्स का दबदबा हमेशा से ही रहा है। ऐसे में एसपी, बीएसपी और समेत कई पार्टियां शहरी वोटरों को रिझाने के लिए ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा रही हैं। 2012 से यहां बीजेपी का ही कब्जा रहा है। 2017 विधानसभा चुनाव में राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह यहां से विधायक बने। ऐसे में बीजेपी की सुरक्षित सीट पर इस बार चुनावी दंगल में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
सपा-बसपा और कांग्रेस ठाकुर प्रत्याशी के बदले यहां ऐसे प्रत्याशी को उतारना चाहती है, जो जातिगत गठजोड़ को साध सके। बसपा ने यहां पहले से ब्राह्मण प्रत्याशी को लगभग फाइनल कर रखा है। वहीं सपा और कांग्रेस ने भी प्रत्याशियों की दौड़ में ब्राह्मण को आगे कर रखा है।
ब्राह्मण चेहरा आया तो बीजेपी के वोटर में लगेगी सेंध
नोएडा में दूसरे नंबर पर सपा रही है। 2017 में सपा प्रत्याशी को 58,401 वोट मिले थे। विशलेषण में सामने आया था कि शहरी और ब्राह्मण वोटर ने सपा से दूरी बना ली थी। माना जा रहा है कि एसपी ब्राह्मण चेहरे को अपना प्रत्याशी बनाती है तो फायदा हो सकता है। साथ ही बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लग सकती है। 2017 में तीसरे नंबर पर बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा था, जिसे 27,365 वोट मिले थे। इस बार भी बसपा ब्राह्मण प्रत्याशी पर ही दांव खेलने का मन बना रही है। जाहिर है सेंध बीजेपी के वोट बैंक में ही लगेगी।
नाम लगभग तय, 16 से 17 को जारी होगी सूची
सभी पार्टियों के यहां उम्मीदवारों के नामों को लेकर मंथन जारी है। यहां पार्टियों को एक-दूसरे के पार्टियों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा का इंतजार है। हालांकि सभी पार्टियों में उम्मीदवारों को लगभग तय कर लिया गया है। 16 या 17 में बीजेपी, कांग्रेस और सपा तीनों ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर सकती है।
पार्टियों के आधार पर जातिगत आंकड़ा
प्रत्याशियों के लिए दावेदार
नोएडा में मतदाता- 6,90,231
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