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डाउनलोड करेंगौतम बुद्ध नगर में हाईराइज इमारतों के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी तैयार की जा रही है। प्रदेश में इस तरह की ये पहली पॉलिसी है। नोएडा प्राधिकरण की CEO रितु माहेश्वरी ने बताया, इसके लिए तीनों प्राधिकरण के ACEO स्तर के अधिकारियों की एक समिति बनाई गई है। पॉलिसी तीनों प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में लागू की जाएगी। समिति बनने के बाद इसे बोर्ड में लाया जाएगा। यहां से अनुमोदन के बाद इसे शासन को पास भेजा जाएगा।
रियल स्टेट से लिए जा चुके सुझाव
पॉलिसी में क्या-क्या होगा, इसको लेकर बिल्डरों के साथ प्राधिकरण CEO की बैठक हो चुकी है। बैठक में बिल्डरों की ओर से सुझाव दिए गए थे। इन सुझावों को पॉलिसी के स्ट्रक्चर में शामिल किया गया है। पॉलिसी के तहत हर 5 साल बाद सोसायटी का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाएगा।
पूरे प्रोजेक्ट का CC जारी होने के बाद गिने जाएंगे 5 साल
बिल्डर प्रोजेक्ट निर्माण के बाद प्राधिकरण में कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) के लिए अप्लाई करता है। इसके साथ उसे इमारत की स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट लगानी होती है। ये रिपोर्ट 5 साल के लिए मान्य होती है। प्राधिकरण से सीसी जारी होने के बाद ही अब 5 साल गिने जाएंगे। इसके बाद सोसायटी के एओए को स्ट्रक्चरल ऑडिट कराकर अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण में देनी होगी।
पॉलिसी तैयार करने के लिए बनाया गया पैनल
पॉलिसी बनाने के लिए प्राधिकरण एजेंसियों का एक पैनल बनाएगा। इस पैनल में CBRI, ITI रुड़की और ITI दिल्ली जैसी एजेंसी होंगी। एओए इनमें से किसी एक को चुन सकता है। प्राधिकरण इसे बिल्डिंग का नक्शा पास कराने से पहले जरूरी करेगा। वर्तमान में नक्शा पास करने से पहले बिल्डर से प्राधिकरण स्ट्रक्चरल इंजीनियर का सर्टिफिकेट मांगता है। इस सर्टिफिकेट की जांच प्राधिकरण ITI से करता है।
फ्लैट खरीदारों के बीच बांटा जाएगा ऑडिट का खर्च
पहले फेज में 5 साल बाद इमारत का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की जिम्मेदारी संबंधित एओए को देने की तैयारी है। ऑडिट के दौरान कोई बड़ी लापरवाही मिलने पर बिल्डर की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। हालांकि ऑडिट पर आने वाले खर्च एओए यानी बॉयर्स के बीच बांटा जाएगा। बता दें, शहर में 400 सोसायटी हैं। इसमें 18 निर्माणाधीन हैं। इन सोसायटी में करीब 70 हजार फ्लैट बने हैं, जिनमें 2.5 लाख लोग रहते हैं। करीब 35 हजार फ्लैट निर्माणाधीन हैं।
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