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डाउनलोड करेंकहते हैं राजनीति में मुकाम पाने के बाद अक्सर लोग बदल जाते हैं। उनके रहने के ठाठ-बाट बदल जाते हैं। लग्जरी गाड़ियों में घूमना और कीमती कपड़े तन पर आ जाते हैं। आज हम आपको ऐसे विधायक से परिचय कराने जा रहे हैं, जो एक बार नहीं बल्कि 5 बार विधायक बने, इसके बाद भी वह अपना घर नहीं बना सके। आज भी उनके रहने का ठिकाना किराए का मकान ही है।
राजनीति में विधायक का नाम जेहन में आते ही ठाठ-बाट नजर आने लगते हैं, लेकिन फिरोजाबाद जिले के टूंडला में रहने वाले 74 वर्षीय चंद्रभान मौर्य के घर पहुंचते ही धारणा बदल जाती है। कोठी-बंगला के नाम पर एक किराये का मकान। उस पर बाहर लिखा हुआ है, 'पूर्व विधायक'। चंद प्लाास्टिक की कुर्सियां और एक टूटी खाट।
जर्जर मकान में रहते हैं पूर्व विधायक जी
स्टेशन रोड पर चंद कदम आगे बढ़ते ही एक जर्जर मकान दिखेगा, जिस पर सामने पूर्व विधायक चंद्रभान मौर्य का नाम लिखी एक पट्टिका नजर आती है। जर्जर मकान देखकर कोई नहीं कह सकता कि इस मकान में कोई पूर्व विधायक रहते हैं। पट्टिका आपको घर में प्रवेश करने से पहले यहां रहने वाली शख्सियत का परिचय कराती है।
मौर्य ने किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह से प्रेरित होकर राजनीति में कदम रखा था। 1977 में एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र से जीते। हालांकि 1980 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके बाद उन्होंने जीत का ऐसा सिलसिला बनाया कि 1993 तक एत्मादपुर से कोई दूसरा नहीं जीत सका।
जीवन में एक प्लॉट खरीदा, वह भी बिक
पूर्व विधायक बताते हैं कि उन्होंने 1985 में मकान बनाने के लिए आगरा में प्लॉट खरीदा था। इस दौरान उनके बेटे की तबीयत बिगड़ गई। बेटे के इलाज के लिए प्लॉट बेचना पड़ा। इसके बाद वह प्लॉट खरीदने की हिम्मत नहीं कर पाए। पूर्व विधायक के मुताबिक, आज भी उनका खर्च सरकार से मिलने वाली पेंशन और पुश्तैनी खेती से चलता है।
वह बताते हैं कि पहले चुनाव धन से नहीं, नीतियों से लड़ा जाता था। उस समय जनप्रतिनिधि जनता के सेवक हुआ करते थे, लेकिन आज जनप्रतिनिधि ‘राजा’ बन गए हैं। राजनीति सेवा नहीं, व्यापार बनकर रह गई है। धन बल पर जीत हासिल करने वाले जनप्रतिनिधि कभी भी जनता के सेवक नहीं बन सकते। यही कारण है कि राजनीति में भ्रष्टाचार चरम पर है। आए दिन करोड़ों के घोटाले हो रहे हैं।
यह रहा राजनीतिक सफर
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