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3 साल पहले बाढ़ में बह गया प्राथमिक विद्यालय:अमृतपुर में आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर मासूम, लोग कर रहे पलायन

अमृतपुरएक वर्ष पहले
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फर्रुखाबाद के अमृतपुर तहसील क्षेत्र में ​​​​​​​3 साल पहले आई बाढ़ में एक प्राथमिक विद्यालय बह गया। उसके बाद से अभी तक नहीं बन सका है। बच्चे खुले आसमान के नीचे धूप में या पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। आलम यह है कि कई बच्चे धूप की वजह से पढ़ने नहीं जाते हैं।

शिक्षा से वंचित हो रहे बच्चे

इतना ही नहीं इस विद्यालय में खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर नहीं है। रसोइया चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं। 2018 तक विद्यालय में 2 कमरे, दो अतिरिक्त कक्ष, किचन, कार्यालय बना था। शिक्षक गांव के बाहर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। विद्यालय न होने से 10 से 12 ही बच्चे पढ़ने आते हैं। विद्यालय न होने से कई बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।

बाढ़ में ढह गई बिल्डिंग

बता दें कि, तहसील क्षेत्र के राजेपुर विकासखंड प्राथमिक विद्यालय, शीशराम मड़ैया 2018 में गंगा में आई बाढ़ में बह गया था। विद्यालय की बिल्डिंग पूरी तरह ढह गई। एक तरफ तो स्कूल चलो अभियान चलाया जा रहा है दूसरी तरफ इस गांव में विद्यालय न होने से बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं।

पड़ोस के घर में बनता है खाना

रसोईया ईश्वर देवी, कांति देवी ने बताया कि एक पड़ोसी घर में खाना बनाकर बच्चों को खिला रही हैं। शौचालय न होने से बच्चों को अध्यापकों को खास परेशानी हो रही है। गांव की आबादी 300 है, लगभग 85 घर हैं। गांव में 120 बच्चे हैं। 50 लोग गांव छोड़कर पांचाल घाट में रहने के लिए चले गए हैं।

प्राथमिक विद्यालय का निर्माण 2007 में हुआ था। विद्यालय न होने से गांव के बच्चे पढ़ने नहीं आ रहे हैं। विद्यालय गांव के 22 बच्चे पंजीकृत हैं लेकिन पढ़ने के लिए 10 से 12 बच्चे ही आते हैं। अभी तक किसी भी आला अधिकारी ने इस गांव में जाकर हाल-चाल तक नहीं लिया। न ही विद्यालय की कोई जांच पड़ताल की गई।

लाखों रुपए से बनाया गया विद्यालय बाढ़ के पानी में समा गया। पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक श्याम कुमार, एक शिक्षक सुप्रिया सिंह, शिक्षामित्र मंजू लता हैं। गांव में बच्चे धूप की वजह से पढ़ने नहीं आते हैं। मंजू लता ने बताया कि बाढ़ के पानी में स्कूल वह जाने के बाद गांव के बच्चे पढ़ने नहीं आते हैं।