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डाउनलोड करेंएटा में वाहन दुर्घटनाओं के फर्जी बीमा क्लेम दिलाने के लिए वकील, गवाह और वाहन स्वामी का रैकेट संचालित था। 2015 के एक मामले में न्यायालय ने मामला संदिग्ध पाते हुए क्लेम याचिका खारिज करते हुए एसआईटी जांच कराने का आदेश दिया। इस पर हुई जांच में इस रैकेट का खुलासा हुआ है। तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
क्या है मामला?
मामले में एसआईटी की ओर से उपनिरीक्षक रामविलास ने थाना जलेसर में बबली निवासी कोडरा1थाना जलेसर, दिलीप कुमार निवासी हाजीपुरा थाना कोतवाली नगर और सत्यपाल निवासी गांव गोपालपुर थाना जलेसर पर रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसके अनुुसार 29 जुलाई 2015 को दर्ज कराई गई रिपोर्ट में बताया कि 27 जुलाई को बाइक सवार अजय कुमार और नरेश निवासी कोडरा थाना जलेसर को सादाबाद-जलेसर मार्ग पर किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। इसमें अजय की मौत हो गई। जांच में मोटरसाइकिल संख्या यूपी-82 के 5795 व चालक किशन कुमार निवासी गंगनपुर थाना कोतवाली नगर के विरुद्ध चार्जशीट लगाई गई।
याचिका कर दी खारिज
मृतक की पत्नी बबली ने 9 अक्तूबर 2015 को अधिवक्ता आलोक राजपूत के माध्यम से बीमा क्लेम के लिए याचिका दायर की। जिसमें सत्यपाल, हरीशंकर व भजनलाल को चश्मदीद गवाह के रूप में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय एमसीटी में याचिका संदेहास्पद होने पर खारिज कर दी गई। साथ ही विशेष जांच के लिए पत्र लिखा।
ऐसे हुआ खुलासा
एसआईटी द्वारा की गई जांच में पाया गया कि मोटरसाइकिल सवार सड़क किनारे खड़ी ट्रॉली से टकराए थे। चालक अजय हेलमेट नहीं लगाए था। ट्रॉली मालिक ओमप्रकाश के बयान भी एसआईटी ने दर्ज किए। याचिका में जिस मोटरसाइकिल से टक्कर दर्शाई गई, उसका स्वामी दिलीप कुमार एक अन्य दुर्घटना बीमा याचिका में भी शामिल है। इस याचिका में भी अधिवक्ता आलोक राजपूत ही थे। एसआईटी जांच में अधिवक्ता, वादी, गवाह और वाहन स्वामी की साजिश ठहराया गया है। आलोक राजपूत की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए उनका नाम एफआईआर में नहीं लिखाया गया है।
करोड़ों के फर्जीवाड़े में हाईकोर्ट ने दिया था जांच का आदेश
मामला करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का एक हिस्सा है। हाईकोर्ट ने 2015 में एक मामले में मोटर एक्सीडेंट क्लेम पिटीशन व वर्कमैन कंपंसेशन एक्ट के फर्जी क्लेम द्वारा बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये की हानि पहुंचाने संबंधी मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठन करने का आदेश दिया था।
सीओ जलेसर इरफान नासिर खां ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेेश पर एसआईटी की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसकी विवेचना कर अगली कार्रवाई की जाएगी।
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