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डाउनलोड करेंइंगुरी सराय गांव स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर पर बुधवार से नौ दिवसीय श्रीराम महायज्ञ में श्रीमद्भागवत कथा का शुरू हुआ। वृंदावन से आए कथावाचक पंडित बाल मुकुंद ठाकुर महाराज आए हुए हैं। श्रोताओं को सुखदेव-परीक्षित कथा का रसपान कराया।
कथावाचक पंडित बाल मुकुंद ठाकुर महाराज ने बताया कि जब जीव के जन्म जन्मातर के पुण्य उदय होते हैं तो कल्प कल्पांतर के युग युगांतर के पुण्य उदय होते हैं। तब भागवत महा पुराण की कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भागवत कथा सुनने से श्रीकृष्ण लोक की प्राप्ति होती है। राजा परीक्षित को ऋषि द्वारा दिए गए श्राप, सुखदेव जी संवाद की कथा प्रसंग को भी सुनाया।
उन्होंने कहा कि दान दरिद्रता को दूर कर देती है। ज्ञान अज्ञानता को नष्ट कर देती है। श्रीमद्भागवत कथा के महात्म के बारे में श्रोताओं को कथा के दौरान बताया कि भागवत कथा भव रोगों को मिटाने के लिए पर्याप्त औषधि है, जो मन क्रम वचन से श्रीमद्भागवत की शरण ग्रहण कर लेता है।
भागवत उसका कल्याण कर देती है। मानव जीवन सबसे श्रेष्ठ है क्योंकि, इसमें हमे नाम सुमिरन करने का मार्ग उपलब्ध होता है, जो अन्य किसी योनि में नहीं मिलता। मानव जीवन के मोल को पहचान कर सत्कर्म के मार्ग को चुनने पर विपत्तियों से छुटकारा मिलता है। जीवन खुशहाल होता है। भगवान अपने बारे में मानव से हुई भूल को तो भुला सकते हैं। लेकिन संतों को लेकर की गई भूल के दुष्परिणाम से वह भी नहीं बचाते।
इसका उदाहरण है कि राजा परीक्षित ने जब संत का अपमान किया तो राजा परीक्षित को भी काल के गाल में जाने के लिए छोड़ दिया। राजा परीक्षित अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े। जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने गंगा तट पर पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी ने परीक्षित से कहा की राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है। उसको श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है।
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