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फ्लिपकार्ट-अमेजन पर चंदौली का ब्लैक राइस:3 सालों से खेती कर रहे किसान, मुंह मांगी कीमत मिलने की उम्मीद, डायबिटीज और कैंसर को करता है कंट्रोल

चंदौलीएक वर्ष पहले
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चंदौली जिले का काला चावल (ब्लैक राइस) एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत चयनित है। शुगर फ्री चावल में कई प्रकार के खूबियां हैं। पौष्टिक होने के साथ शुगर रोगियों के लिए इसे वरदान माना जा रहा है। काला चावल अब ऑनलाइन क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वेबसाइट के माध्यम से बेचा जाएगा। इससे पिछड़े जनपद के किसानों को खेती करने में काफी बल मिलेगा। वहीं जिले की अंतरराष्ट्रीय स्तर अलग पहचान स्थापित होगी। इसके पीछे उद्योग विभाग के अफसरों की कड़ी मेहनत को माना जा रहा है। ऑनलाइन बिक्री शुरू होने से किसानों को मुंह मांगी कीमत मिलने की उम्मीद है।

3 वर्षों से की जा रही खेती

बता दें कि चंदौली में विगत ‌3 वर्षों से औषधीय गुणों से भरपूर काला चावल (ब्लैक राइस) की खेती हो रही है। इस वर्ष एक हजार किसानों ने ब्लैक राइस की खेती की थी। चावल को कृषि उत्पाद के रूप में कलेक्टिव मार्क भी मिल चुका है। इसके अलावा इसे खरीदने के लिए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने रुचि ली। पिछले वर्ष एक कंपनी के द्वारा इस प्रजाति के धान को 65 रुपए प्रति किलो के हिसाब से किसानों से क्रय किया गया। अब उद्योग विभाग की पहल से बहुराष्ट्रीय कंपनी फ्लिपकार्ट और अमेजन की वेबसाइट पर ब्लैक राइस बेचा जाएगा।

काला नमक धान को 65 रुपए प्रति किलो के हिसाब से किसानों से क्रय किया गया है।
काला नमक धान को 65 रुपए प्रति किलो के हिसाब से किसानों से क्रय किया गया है।

उद्योग उपायुक्त गौरव मिश्रा ने बताया कि, ऑनलाइन शॉपिंग करने वाली कंपनियों ने ब्लैक राइस की मार्केटिंग करने में रुचि ली है। इससे चंदौली के किसानों को अच्छी आमदनी होने के साथ खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।

चंदौली में काला चावल की खेती की शुरुआत

भारत में काला चावल या चाक-हाओ (स्वादिष्ट चावल) प्रजाति मूल व्यंजनों में इस्तेमाल होता रहा है। चंदौली के तत्कालीन कृषि उपनिदेशक आरके सिंह ने इस प्रजाति के खेती की शुरुआत कराई। शुरुआती दौर में मात्र चार दर्जन किसानों ने ब्लैक राइस की खेती की। लेकिन परिणाम सकारात्मक मिलने में धीरे-धीरे ब्लैक राइस का रकबा बढ़ा और एक हजार किसान वर्तमान में इसकी खेती कर रहे हैं।

काला नमक चावल (फाइल फोटो)।
काला नमक चावल (फाइल फोटो)।

औषधिय गुणों से भरपूर है ब्लैक राइस

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि काले चावल में एंथोसायनिन नामक एक यौगिक होता है, जिसकी वजह से इसका रंग काला होता है। इसी तत्व के चलते इसमें एंटी-इफ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सीडेंट और कैंसर रोधी गुण पाया गया है। चावल में कैरोटिनॉयड होने से आंखों की रोशनी के लिए उपयोगी माना गया है। इसके अलावा प्रोटीन, आयरन, विटामिन-ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, नेचुरल फाइबर आदि से भरपूर है। इसे एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर होता है, जो एथेरोस्क्लेरोसिस, डायबिटीज, अल्जाइमर, हायपरटेंशन जैसी बीमारियों को शरीर से दूर रखता है।