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डाउनलोड करेंचंदौली जिले में खरीफ की फसल खेतों में लगभग तैयार हो चुकी है, लेकिन अभी फसल की कटाई होने में एक पखवारे का समय लग सकता है। वहीं रबी की बुआई में जिले में खासकर डीएपी खाद की डिमांड अधिक होती है। सरकारी गोदामों में 4 हजार एमटी डीएम उपलब्ध है, जबकि 10 हजार एमटी खाद की खपत होती है। ऐसे में पीक सीजन में किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
गोदामों में मात्र 4 हजार डीएपी ही उपलब्ध
बता दें कि रबी के सीजन में 1.15 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य निर्धारित है। फसल के बुआई के दौरान डीएपी और एनपीके की अच्छी डिमांड रहती है। किसान जुताई के दौरान जीरो ट्रील मशीन से खाद और बीज को एक साथ खेत में डालते हैं। करीब 10 हजार एमटी डीएपी और 7 हजार एनपीके की खपत रबी के सीजन में होती है, लेकिन सरकारी गोदामों में मात्र 4 हजार डीएपी ही उपलब्ध है। ऐसे में रबी के सीजन में किसानों को खाद के लिए निजी दुकानों का सहारा लेना मजबुरी होगी। इससे उन्हें अधिक कीमत भी चुकानी पड़ सकती है।
सरेसर में रैक लगने पर दूर होगी समस्या
जिले के सरेसर में पहले खाद की रैक लगती थी, लेकिन रैक प्वाइंट पर कोयला कारोबार से जुड़े लोगों की धमक होने के चलते यहां अब पिछले कई महीनों से खाद की रैक नहीं लगती। ठेकेदार और अफसर भी भाड़े का मुनाफा वसूलने के लिए वाराणसी जिले में रैक उतरवा रहे हैं, जहां से खाद को ट्रकों में भरकर चंदौली के सरकारी गोदामों में पहुंचाया जाता है। जिससे समय और पैसा दोनों अधिक खर्च होता है।
खाद की किल्लत देख की डिमांड
जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे ने बताया कि खाद की समस्या को देखते हुए शासन को डिमांड भेजा दी गई है। फिलहाल जिले के सरकारी गोदामों में चार हजार डीएपी उपलब्ध है। कुछ किसान फसल की बुआई से पहले खाद खरीद रहे हैं, जिससे अन्य किसानों में खाद लेने की उत्सुकता बढ़ गई है।
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