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डाउनलोड करेंऔराई के तहसील रोड स्थित केशव प्रसाद मिश्र राजकीय महिला महाविद्यालय की ओर से रानी लक्ष्मीबाई शहीदी दिवस का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार मिश्र रहे। विभागाध्यक्ष ने 1857 की क्रांति में वीरांगना लक्ष्मीबाई का योगदान विषय पर बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया।
उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुए कहा कि उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को एक मराठी ब्राह्मण परिवार में काशी के भदैनी में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। उनका उपनाम मणिकर्णिका था।डाॅ. मिश्र ने बताया कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की आदर्श वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था।
विरांगनाओं के बारे में छात्राओं को बताया
उन्होंने अपना सुप्रसिद्ध नारा दिया था 'मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी' और इसी के साथ उन्होंने अपने बगावती तेवर अंग्रेजों के विरुद्ध दिखा दिए थे। डॉ. मिश्र ने रानी लक्ष्मी बाई के साथ-साथ अवध की बेगम हजरत महल, झलकारी बाई, ऊदा देवी, अजीजन बाई, आशा देवी, बख्तावरी देवी त्यागी, रानी चेनम्मा, दुर्गा भाभी आदि वीरांगनाओं को भी याद किया और उनके क्रियाकलापों से छात्राओं को भी अवगत कराया।
प्राचार्य बोले-कहानियों से लें सीख
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक और राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी अनुज कुमार सिंह ने मुख्य वक्ता,समस्त प्रतिभागी छात्राओं, कर्मचारियों को अपना धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के महान बलिदान को याद किया और छात्राओं से विषम परिस्थितियों में भी अपना धैर्य और साहस न खोने की बात की। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वृजकिशोर त्रिपाठी ने रानी लक्ष्मीबाई को सादर नमन करते हुए छात्राओं से भी उनकी वीरता एवं उनके साहस की कहानियों से सीख लेने की अपील की। इस अवसर सभी प्राध्यापक गण एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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