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डाउनलोड करेंबांदा में दुष्कर्म और हत्या के आरोप में जेल गए किशोर की बेगुनाही साबित हो गई है। जुलाई 2010 में महिला का शव खेत में मिला था। पति ने अज्ञात पर दुष्कर्म के बाद हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने इस आरोप में मुलायम सिंह मौर्य (18) को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया।
महिला से दुष्कर्म और उसकी हत्या के आरोप में जेल भेजे गए किशोर की बेगुनाही 12 साल जेल में रहने के बाद साबित हो सकी। इस बीच पीड़ित के परिवार ने सामाजिक तिरस्कार सहा। मां बाप और भाई बहनों का सहारा छिना।
उसकी पीड़ा की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती, जिसे बचपन से लेकर अब तक कीमती वर्ष जेल में बिताने पड़े। बाइज्जत बरी करते समय विशेष न्यायाधीश ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
वादी और पुलिस पर हो सकता है क्लेम केस
दोष मुक्त हुए मुलायम सिंह मौर्य की अदालत में पैरवी करने वाले मुख्य लीगल एडवोकेट मूलचंद्र कुशवाहा ने बताया कि ऐसे मामलों में बरी व्यक्ति को क्षतिपूर्ति क्लेम दायर करने का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया में यह प्रावधान है।
दोषमुक्त व्यक्ति चाहे तो वादी और पुलिस पर क्षतिपूर्ति क्लेम का केस कर सकता है। यह उसी न्यायालय में दायर होगा जहां से बरी होने का फैसला हुआ है। साजिश रचने वाले कानून के दायरे में मानहानि के आरोपी हो सकते हैं।
गरीबी की वजह से बेगुनाह को सजा मिली
मंगलवार को बेटे की रिहाई की खबर सुनकर मां दिन्नू देवी और पिता बच्चा प्रसाद मौर्य की आंखें छलक पड़ीं। बोले, गरीबी की वजह से बेगुनाह को सजा मिली है। बताया कि इतनी हैसियत नहीं थी कि जमानत और मुकदमेबाजी का खर्च उठा पाते।
कोर्ट में बेगुनाही साबित करने में कितना खर्च होता है कौन नहीं जानता? मुलायम सबसे बड़ा बेटा था। छोटे दो भाइयों व बहनों की परवरिश करता था। उसके न रहने से पूरे परिवार ने जो दिन भोगे हैं वह हमेशा याद रहेंगे।
12 साल जेल में काटी सजा
उन्होंने बताया कि 28 जुलाई 2010 की सुबह बबेरू कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में अनुसूचित जाति की एक महिला का शव खेत से बरामद हुआ था, जिसके मृतका के पति चंद्र किशोर ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ रेप के बाद पत्नी की हत्या करने का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।
कुशवाहा के मुताबिक, पुलिस ने जांच के दौरान बदौसा थाना क्षेत्र के पौहार गांव निवासी मुलायम सिंह नामक व्यक्ति को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया था। उन्होंने बताया कि सिंह पिछले 12 वर्षों से जेल में बंद है, क्योंकि जेल में उससे न तो कोई कभी मुलाकात करने पहुंचा, न ही किसी ने कभी जमानत के लिए उसकी पैरवी की।
पुलिस ने गलत तरीके से फंसाया
कुशवाहा के अनुसार, “मुख्य कानूनी अधिवक्ता होने के नाते मैंने सिंह की पैरवी की और अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने सोमवार शाम सुनाए गए फैसले में आरोपी को दोष मुक्त कर दिया।
उन्होंने कहा, “सिंह को अदालत ने निर्दोष करार दिया है। पुलिस ने उसे गलत तरीके से फंसाया था। कुशवाहा ने आरोप लगाया, “सिंह के मानवाधिकारों का हनन हुआ हुआ है। उसे इंसाफ दिलाने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की जाएगी।
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