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डाउनलोड करेंसत्ताधारी दल द्वारा जब- जब जनता की आवाज को दबाया गया, तब- तब उसे मुंह की खानी पड़ी है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जन भावनाओं को दरकिनार करते हुए इमरजेंसी लागू कर लोकतंत्र का गला घोंट दिया था। जिसका खामियाजा उन्हें उस समय भुगतना पड़ा, जब जनता ने चुनाव में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया। यह बातें लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के प्रांतीय महासचिव चंद्रभान भयंकर ने इमरजेंसी के 47 वर्ष पूर्ण होने पर कही। केंद्र सरकार से लोकतंत्र सेनानियों को उचित सम्मान देने की मांग की।
25 जून 1975 का दिन भारत के इतिहास का काला अध्याय
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए संगठन के प्रांतीय महासचिव चंद्रभान भयंकर ने इसे भारत के इतिहास का काला अध्याय बताया। कहा कि इमरजेंसी का ही परिणाम रहा कि जनता ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में देश की बागडोर मोरारजी देसाई को सौंपी। इमरजेंसी की घटनाओं को साझा करते हुए भयंकर ने कहा कि इस दौरान विरोधी दल के नेताओं को जेलों में बंद कर जनता के मुंह पर ताला लगाने का कार्य किया गया।
सेनानियों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करें पीएम
कहा कि देश की आन, बान और शान की रक्षा करने वाले लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को प्रदेश सरकार पेंशन देती है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पूरे देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उसी कड़ी में लोकतंत्र सेनानियों को भी केंद्र की ओर से उचित सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि केंद्र सेनानियों का उचित सम्मान करे। उनकी सुविधाओं के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करे। बता दें कि इमरजेंसी के दौरान जो लोग जेल गए थे, उन्हें ही लोकतंत्र सेनानी कहा जाता है। इन्दिरा गांधी उन दिनों देश की प्रधानमंत्री थीं।
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