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डाउनलोड करेंअखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था वेटिंलेटर पर पहुंच चुकी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले में विगत आठ वर्षों से न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजीशियन, यूरो सर्जन, साईकेटिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट का पद, अधीक्षक स्टोर का पद खाली चल रहा है। जिले में MRI के लिए बिल्डिंग तो बन गई पर मशीन नदारद है, जिसके कारण यहां पर रहने वाले लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मंडलीय अस्पताल होने के कारण आजमगढ़ के साथ-साथ मऊ व बलिया से भी बड़ी संख्या में मरीज यहां पर अपना इलाज कराने आते हैं पर सुविधाओं के अभाव में इन मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि यहां के जनप्रतिनिधि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कितना गंभीर हैं। जनप्रतिनिधियों की इस उपेक्षा के कारण यहां की जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक
दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए जिले के मंडलीय चिकित्सा अधीक्षक डा. एके सिंह का कहना है कि जिले के मंडलीय अस्पताल में न्यूरो फिजीशियन, न्यूरो सर्जन व MRI की सुविधा न होने के कारण बड़ी संख्या में मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसके लिए शासन को मेरे द्वारा व मंडल के कमिश्नर द्वारा कई बार पत्र लिखा जा चुका है। इसके बावजूद अभी तक यह सुविधा नहीं मिल सकी है। इस कारण यहां के मरीजों को निश्चित रूप से समस्या हो रही है। चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि कई पद खाली होने के साथ कई ऐसे पद हैं जहां ज्यादा लोगों की जरूरत हैं, उन पदों पर भी एक व दो स्टॉफ के सहारे काम चलाया जा रहा है।
12 वार्ड व्वाय की कमी
जिले के अस्पताल में यदि वार्ड व्वाय की बात की जाय तो इसके लिए 36 पद स्वीकृत हैं। 24 वार्ड व्वाय हैं, जबकि 12 की कमी है। इस कमी से व्यवस्था प्रभावित होती है। इसके साथ ही उपचारिका, चीफ फर्मासिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट की भी कमी है। इस कमी का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता है।
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