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डाउनलोड करेंअमेठी में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के दौरान बरती गई लापरवाही से एक 7 साल के मासूम की जान चली गई। घटना से गुस्साए परिवारीजनों ने घंटों हॉस्पिटल पर हंगामा काटा। मामला तब शांत हुआ, जब मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने कार्रवाई का भरोसा दिया और परिजनों से तहरीर मांगी। पुलिस अब शव को पोस्टमार्टम हाउस भेजकर पूरे मामले में विधिक कार्रवाई करने में जुट गई है।
जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र की घटना
मामला जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र के राधेश्याम सत्य प्रकाश हॉस्पिटल का है। मंगलवार रात इसी कोतवाली क्षेत्र के कपुरीपुर निवासी जय बहादुर सिंह के 7 वर्षीय बेटे युवराज सिंह की एकाएक तबीयत खराब हो गई। जय बहादुर ने बताया, रात 11 बजे लड़के की तबीयत खराब हुई, उसे पलटी हो रही थी। उसको हम सरकारी हॉस्पिटल लेकर आए। वहां डॉक्टर संजय मिले थे। उन्होंने 2 टॉनिक दिया और कहा इसको पिलाओ। अगर, आधे घंटे में आराम नहीं होगा तो कहीं दूसरी जगह ले जाकर दिखा लेना।
आधे घंटे बाद लड़के को सिर में दर्द शुरू हुआ तो उसको हम यहां राधेश्याम हॉस्पिटल लेकर आए। हम सोचे कोई इमरजेंसी इंजेक्शन होगा। उसको लगा देंगे तो हम वापस लेकर चले जाएंगे। अंदर जाकर डॉक्टर को बताया तो उन्होंने कहा समस्या कुछ दूसरी है। बोले झटका आता है। उसके बाद 200 का उन्होंने पर्चा बनवाया और 800 की दवा लिखी। डॉक्टर अंदर चले गए और दो नर्स थीं। इंजेक्शन जैसे लगाया बच्चा खत्म हो गया।
डॉक्टर ने नहीं दिया सही जवाब
वहीं मृतक मासूम के नाना सतनाम सिंह ने बताया, हमारी लड़की का बेटा बीमार हुआ तो हमारा दामाद लेकर हॉस्पिटल आया। डॉक्टर ने कहा, इसे झटका आ रहा है तो हमारे दामाद ने कहा इसे कभी झटका नहीं आया। इस पर डॉक्टर ने कहा कि MBBS हम हैं, डॉक्टर तुम बन रहे। फिर डॉक्टर ने 2 नर्सों को लिखा कि यह इंजेक्शन लगाओ।
नर्सों ने झटके का इंजेक्शन लगा दिया। दो-तीन मिनट तक लड़का तड़पा और एक्सपायर कर गया। हॉस्पिटल में जो डॉक्टर और नर्सें काम कर रही हैं, उनकी डिग्री की जांच की जाए। इस मामले में जब आरोपी डॉक्टर से बात करने की कोशिश की गई तो उसने कोई सही जवाब नहीं दिया।
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