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डाउनलोड करेंअंबेडकरनगर में सपा 20 साल वाले नेताओं को ‘आउट’ कर सकती है, जबकि 5 महीनों वालों को स्ट्राइक मिल सकती है। चर्चा है कि जिले की 4 विधानसभा ऐसी हैं, जहां 20 साल मेहनत करने वाले सपाई अपनी विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इनको अबकी बार टिकट नहीं मिलने के आसार हैं।
इस लिस्ट में कटेहरी से पूर्व मंत्री शंखलाल मांझी, पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय, अकबरपुर से पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, जलालपुर से मौजूदा सपा विधायक सुभाष रॉय, आलापुर से संगीता और बलिराम शामिल हैं। इन सीटों पर बीएसपी को अलविदा कहकर आए पूर्व मंत्री लालजी वर्मा, पूर्व मंत्री रामअचल राजभर पूर्व सांसद राकेश पांडेय व पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त चुनाव लड़ सकते हैं।
पुराने नेता बिगाड़ सकते हैं जीत का समीकरण
सपा मुखिया अखिलेश यादव भले ही बीएसपी से आए नए साथियों को मैदान में उतारकर जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन इन सीटों पर पुराने सपाइयों के सजातीय वोट जीत का जायका बिगाड़ सकते हैं। टिकट न मिलने पर इन नेताओं के सजातीय वोट विधानसभा में जीत का रुख मोड़ सकते हैं।
आइए समझते हैं, 4 विधानसभा सीटों का समीकरण
कटेहरी विधानसभा में शंखलाल मांझी टिकट के दावेदार है। वह बराबर क्षेत्र में बने है। हालांकि इसी सीट से जयशंकर पांडेय भी टिकट मांग रहे है। माझी इस सीट से विधायक रह चुके है और निषाद वोटों में अच्छी पकड़ है।इसके चलते जयशंकर पांडेय के न लड़ने पर ब्राम्हण वोट और शखलाल मांझी के मैदान से दूर जाने पर निषाद वोट पार्टी से दूरी बना लेगा। ऐसे में इस सीट से सपा की जीत आसान नहीं होगा।
कमोवेश यही हाल अकबरपुर सीट का है। इस सीट से राममूर्ति को कहीं और एडजस्ट करने की बात चल रही है। जिससे सजातीय तबका नाराज है और वह अपने वोट को कहीं और शिफ्ट कर सकता है।इसकी वजह से अकबरपुर सीट खतरे के निशान पर है। जलालपुर सीट उपचुनाव में शानदार मेहनत से पार्टी को जीत दिलाने वाले सुभाष रॉय को टिकट नहीं दिया जा रहा है।
इस सीट से राकेश पांडेय चुनाव लड़ेंगे।ऐसे में सुभाष रॉय का परंपरागत करीब 15000 वोट दूसरे पाले में जाकर जीत को हार में बदल सकता है।वहीं आलापुर से त्रिभुवन दत्त में कड़े मुकाबले में होंगे।उनके सामने सपा के पुराने नेताओं की नाराजगी की लंबी फेरिहस्त है।जो चुनाव में मुसीबत बनेगी।
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