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डाउनलोड करेंअंबेडकरनगर की जलालपुर विधानसभा में पिता की विरासत पाने को बेताब अब राजेश सिंह बीएसपी से चुनाव लड़ेंगे। इसके चलते अब राजनीतिक सियासत में विरासत की लड़ाई होगी। 2017 के चुनाव में कमल के फूल से सफलता नहीं मिली तो अबकी बार हाथी की सवारी कर ली।
अपने पिता की राजनीतिक विरासत को सहेजने के लिए हाल ही में डॉक्टर राजेश सिंह ने भाजपा छोड़ बीएसपी ज्वाॅइन की है। ऐसे में जलालपुर सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा, यंहा मैदान में इस परिवार के पुराने प्रतिद्वंदी रहे राकेश पांडेय सपा के उम्मीदवार होंगे और राजेश सिंह को कड़ी टक्कर देंगे।
पांच बार से विधायक रहे पिता
दो बार बीजेपी से डॉक्टर राजेश सिंह चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार हार गए। इसके चलते राजेश अपने पिता स्वर्गीय शेर बहादुर सिंह की जलालपुर विधानसभा की पांच बार की विधायक बनने की विरासत सहेजने में अब तक नाकाम रहे। 2017 के चुनाव में जहां वह दूसरे नंबर पर रहे, वहीं अंबेडकर नगर से सांसद चुन लिए जाने पर रितेश पांडेय के पद छोड़ने के कारण हुए उपचुनाव में इनको तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा।
दलित और जातीय समीकरण के सहारे नैया
पिता ने विधानसभा में सजातीय वोटों के अन्य वोटों पर मजबूती से पकड़ बनाई थी। इसी के सहारे वह पांच बार अन्य दलों से विधायक चुने गए। इसी राजनीतिक विरासत के जरिए दलित और सजातीय वोटों के सहारे डॉक्टर राजेश सिंह अपनी नैया पार करने की जुगत में है। बताया जाता है कि अगर पिता का परंपरागत वोट इस बार साथ आया तो जीत का समीकरण पाले में रहेगा।
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