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मुलायम के बाद अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती:1992 से अब तक आगरा में नहीं मिली सफलता, बाह छोड़कर सपा के टिकट पर कोई नहीं जीता विधानसभा चुनाव

आगराएक वर्ष पहले
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सपा के लिए आगरा किसी बंजर भूमि से कम नहीं। विधानसभा चुनावों में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बाद अब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए आगरा में पार्टी का खाता खोलना चुनौती बनी हुई है। अखिलेश ने अपनी सरकार में यहां के 8 लोगों को लालबत्तियों का तोहफा दिया था। बावजूद इसके गत विधानसभा चुनाव में आगरा की 9 सीटों में से 1 सीट भी सपा नहीं जीत सकी। इस बार विधानसभा चुनावों में सपा का रोलाद से गठबंधन होने से सपा के हिस्से में 6 सीटें आईं हैं। अब देखना यह कि सपा की साइकिल कितनी स्पीड पकडे़गी।

समाजवादी पार्टी का जब से गठन हुआ है तब से लेकर अब तक विधानसभा चुनाव की दृष्टि आगरा में सपा खाली हाथ रही है। अपवाद स्वरूप 2012 में बाह विधानसभा क्षेत्र से राजा अरिदमन सिंह भले ही सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे। मगर, उस क्षेत्र में उनका अपना वर्चस्व है। उन्हें छोड़कर सपा के स्थापना वर्ष 1992 से लेकर आज तक आगरा की 9 विधानसभा सीटों पर कोई भी प्रत्याशी सपा की टिकट पर चुनाव नहीं जीता है। इस चुनाव में भी सपा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, जो कुछ है वह पाने के लिए है। यह बात अलग है कि सपा सरकार में 2012 से 2017 के बीच आगरा को बहुत कुछ मिला। मगर, बदले में आगरा से सपा को निराशा मिली।

समाजवादी पार्टी का जब से गठन हुआ है तब से लेकर अब तक विधानसभा चुनाव की दृष्टि आगरा में सपा खाली हाथ रही-फाइल फोटो
समाजवादी पार्टी का जब से गठन हुआ है तब से लेकर अब तक विधानसभा चुनाव की दृष्टि आगरा में सपा खाली हाथ रही-फाइल फोटो

चौंकाने वाली बात यह है कि पिछली सपा सरकार में जिन लोगों को लाल बत्तियां मिलीं, उनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह, पूर्व राज्य मंत्री रामसकल गुर्जर, पूर्व राज्य मंत्री अंजुला माहौर, पूर्व राज्य मंत्री नितिन गुप्ता भी शामिल थे। जो अब भाजपा में हैं। सपा के कई पदाधिकारी भी ऐसे हैं, जिन्होंने सपा सरकार में अकूत धन कमाया और भाजपा सरकार आते ही अपनी गाड़ियों से सपा के झंडे उतारकर भाजपा नेताओं के पिछलग्गू बन गए।

सपा सरकार ने दीं कईं सौगातें, चुनाव में सूपड़ा साफ
आगरा लखनऊ-एक्सप्रेस-वे का निर्माण हुआ था, जिसका सर्वाधिक लाभ आगरा को ही मिला। आगरा को इनर रिंग रोड की सौगात भी अखिलेश यादव ने ही दी। ताज सुंदरीकरण योजना के तहत ताजमहल के आसपास ताजगंज क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विकास कार्य हुए। थीम पार्क योजना, टीटीएसपी-पेयजल योजना समेत कई योजनाएं हैं। इससे आगरा में बड़े स्तर पर विकास हुआ था।

शिवपाल यादव, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव।
शिवपाल यादव, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव।

3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के गंगाजल प्रोजेक्ट को भी सर्वाधिक गति पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह के प्रयासों से सपा सरकार में ही मिली थी। बावजूद इसके 2017 के विधान सभा चुनाव में आगरा ने बदले में अखिलेश यादव को कोई सीट न जिताकर सिर्फ ठेंगा ही दिखाया। आगरा की 9 सीटों पर भाजपा की फतह हुई। सपा सभी सीटें हार गई।

इस बार जिले में खाता खोलने को बेताब सपा
सपा 2022 के विधानसभा चुनाव में आगरा से खाता खोलने के लिए बेताब है। राष्ट्रीय लोक दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, महान दल आदि संगठनों से गठबंधन होने के बाद यह तय हो गया है कि आगरा में 9 में से समाजवादी पार्टी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इन सीटों में 2 सीट बाह और छावनी पर सपा अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। बाकी सीटों पर भी आज-कल में प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं।

गठबंधन में मामूली अंतर से जीते थे चंद्रभान
सपा-बसपा गठबंधन के दौरान विधानसभा चुनावों में वर्ष 1993 में एत्मादपुर विधानसभा सीट से चंद्रभान मौर्य मामूली अंतर से ही चुनाव जीत सके थे। क्योंकि उस वक्त सपा के साथ बसपा थी। उसके बाद अकेले के दम पर सपा बाह विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर आगरा में कोई सीट नहीं निकाल पाई है ।