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डाउनलोड करेंउदयपुर में एक प्रेग्नेंट महिला को अस्पताल ले जाने के लिए उसके परिजनों को पहाड़ों पर 6KM का सफर तय करना पड़ा। इस दौरान महिला ढाई घंटे तक दर्द से तड़पती रही। जैसे-तैसे वे महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी इलाज की सुविधा नहीं मिली। गनीमत रही कि वहां पहुंचने के बाद उन्हें एक जीप मिल गई। देर रात 2:30 बजे उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया।
दरअसल, उदयपुर में जिस जगह अंबाल गांव है, वहां सड़क भी ढंग की नहीं है। सब सेंटर तक पहुंचने के लिए 6 किमी चल कर पहाड़ पार करना होता है। यहां रहने वाली दिना पत्नी भैराराम को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। एंबुलेंस और दूसरी गाड़ी नहीं मिली तो परिजनों ने उसे झोले में डाला और कंधे पर बैठाकर पहाड़ पार कर उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले आए। यहां से उसे 30 किमी दूर देवला अस्पताल पहुंचाया।
मुख्य सड़क पर पहुंचे तो मिली गाड़ी
मंगलवार देर रात जब दिना को प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार के लोगों ने सूचना गांव को दी। इस पर तुरंत झोली का इंतजाम किया गया। 6 किमी तक सभी ने बराबर कंधा देकर पहाड़ पार किया। पहाड़ पार कर बमुश्किल टेपूर पहुंचे। सब सेंटर पर स्टाफ नहीं मिला। देर रात बड़ी मुश्किल से एक निजी वाहन की व्यवस्था हो पाई। महिला को लेकर परिजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवला पहुंचे। तब तक लगभग रात के ढाई बज चुके थे। यहां महिला का प्रसव कराया गया। गनीमत रही कि इतना कठिन रास्ता तय करने के बाद मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
जान का हमेशा खतरा
गर्भवती महिलाओं के लिए राज्य सरकार की जननी सुरक्षा योजना है। वहीं सरकार करोड़ों रुपए इस बात पर खर्च होते हैं कि महिलाओं को प्रसव सुविधाएं समय पर मिले। अंबाल के वार्ड पंच केवाराम ने बताया कि बरसों से सड़क की मांग है, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में बीमार, प्रसूता को अस्पताल तक ले जाना मुश्किल होता है।
इनपुट : शाहीद खान पठान
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