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डाउनलोड करेंआधुनिकता के वर्तमान दौर में रिश्ते किस तरह दरकते जा रहे हैं, इसकी एक बानगी जिले के गांव 57 जीबी में नजर आई जब एक बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने शव लेने से ही इनकार कर दिया। यह बुजुर्ग पिछले करीब पौने दो साल से गांव के अकाल की फौज अनाथ आश्रम में रह रहा था। रविवार सुबह इसकी मौत हुई तो इसके पास मिले आधार कार्ड के पते पर संपर्क किया लेकिन परिजनों ने शव लेने से ही इनकार कर दिया। आश्रम के लोगों ने उसे श्रीगंगानगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया था जहां से मौत के बाद उसे आश्रम ले जाया गया।
आधार कार्ड में संगरिया का पता
बुजुर्ग बंता सिंह की मौत रविवार सुबह हो गई। इसके पास मिले आधार कार्ड में संगरिया इलाके के गांव नाथवाना का पता था। इस पते से जानकारी जुटाई तो पता लगा कि बुजुर्ग यहां मेहनत मजदूरी करने के लिए आया था। यहां उसने आधार कार्ड बनवा लिया। वहां से बुजुर्ग के पंजाब में रह रहे परिजनों का पता लगा और परिजनों से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन वहां भी पुलिस के हाथ निराशा लगी।
परिजन बोले हमें कोई मतलब नहीं
बंतासिंह की शादी नहीं हुई है। पुलिस के हैडकांस्टेबल रामअवतार यादव ने उसके भतीजे चरणजीत सिंह ने पंजाब के गांव पक्खू कलां में मृतक के भतीजे से संपर्क किया। मृतक के भतीजे ने उससे किसी तरह का संपर्क होने से ही इनकार कर दिया। इस पर आश्रम से जुड़े लोगों ने उसके अंतिम संस्कार की तैयारी की।
नहीं मिली लकड़ियां
आश्रम के लोगों ने इलाके के आरा संचालकों से लकड़ियां देने का आग्रह किया लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। करीब तीन घंटे तक जब बात नहीं बनी तो रामसिंहपुर थाने के हैडकांस्टेबल रामअवतार यादव ने अपनी जेब से तीन हजार रुपए दिए और बुजुर्ग के अंतिम संस्कार का प्रबंध करवाया।
हमारे पास था पौने दो साल से
अकाल की फौज अनाथ आश्रम के सेवादार कमलदीपसिंह ने बताया कि बुजुर्ग उनके पास जुलाई 2020 में आया था। तब उसकी हालत खराब थी। चल फिर नहीं पा रहा था। यहां इलाज करवाया तो हालत सुधरने लगी। कुछ दिन पहले स्थिति बिगड़ी तो श्रीगंगानगर के गवर्नमेंट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। वहां इलाज के दौरान मौत होने पर परिजनों के शव लेने से इनकार करने पर पुलिस के सहयोग से अंतिम संस्कार करवाया।
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