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डाउनलोड करेंकाेराेना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर शुरू हाे चुकी है। दूसरी लहर बेहद खतरनाक साबित हुई और लाेगाें ने ऑक्सीजन का जाना। राेगियाें के लिए ऑक्सीजन सिलेंडराें की व्यवस्था के लिए दर-दर भटकना पड़ा। सैकड़ाें लाेगाें की माैत भी हुई। विशेषज्ञाें का मानना है कि अधिक से अधिक पाैधे लगाएंगे ताे इसका सीधा-सीधा लाभ आने वाली पीढ़ियाें काे मिलेगा।
आज जरूरी है कि हम सब अधिकाधिक पेड़-पाैधे लगाएं, ताकि ऑक्सीजन के लिए भटकना ना पड़े। शहर में 24 घंटे पेयजल व सीवरेज की लाइन डालने का काम आरयूआईडीपी के मार्गदर्शन में लार्सेन एंड टुब्राे (एलएंडटी) कर रही है। एलएंडटी ने नाथांवाली वाटर हैडवर्क्स में दाे सघन वन तैयार किए हैं।
जिसमें 31 किस्माें के 6100 पाैधे लगाए। सबसे अच्छी बात यह है कि 100 फीसदी पाैधे जीवित हैं और धीरे-धीरे पेड़ का रूप ले रहे हैं। आरयूआईडीपी ने इसे सघन वन नाम दिया है। इतनी कम जगह पर 6 हजार से अधिक पाैधे लगाना और उनका जीवित हाेना शुभ संकेत है। विभाग आमजन काे ऑक्सीजन के महत्व काे समझा रहा है।
फिलहाल नाथांवाली वाटर हैड वर्क्स पर काम चल रहा है। इसलिए आम लाेगाें के लिए सघन वन देखने की छूट नहीं है, लेकिन आने वाले समय में शहरवासियाें के लिए यह स्थल अच्छा पिकनिक स्थल साबित हाे सकता है।
मायावकी पद्धति अपनाई, पांच अगस्त 2019 काे शुरूआत हुई
आरयूआईडीपी के एसई आशीष गुप्ता ने बताया कि प्रथम चरण में 5 अगस्त 2019 को 695 पौधे लगाकर शुरूआत हुई। यहां दाे सघन वन तैयार किए गए हैं। पहले में 780 वर्ग मीटर क्षेत्र में 3100 पाैधे लगाए गए हैं, वहीं दूसरे सघन वन 20 मीटर गुणा 70 मीटर क्षेत्र में फैला है, यानी 1400 वर्ग मीटर क्षेत्र में 3000 पाैधे लगाए गए हैं। अधिकतर पाैधे छायादार व फलदार हैं।
फूलों के पाैधे भी शामिल हैं। एक्सईएन आरके याेगी, एईएन मनीष बिश्नाेई, एलएंडटी के प्राेजेक्ट मैनेजर अमित कुमार सिंह, दर्शन लाल कलसी ने बताया कि इस पाैधराेपण में मायावाकी पद्धति अपनाई गई है। इसमें अलग-अलग प्रजाति के पौधों को आसपास लगाया गया है और पानी की व्यवस्था के लिए ड्रिप पद्धति अपनाई गई। विभाग के अधिकारियाें का कहना है कि देखरेख के लिए कर्मचारियाें की ड्यूटी भी लगाई हुई है।
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