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डाउनलोड करेंराइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में अब किसान संगठन भी आने लगे हैं। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की सीकर जिला एवं युवा इकाई ने सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा है कि राइट टू हेल्थ एक्ट अच्छी, सर्व सुलभ और गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा के अनुकूल व अनुसार नहीं है। यूनियन ने एक्ट के विरोध में चल रहे डॉक्टर्स के आन्दोलन का पूर्ण समर्थन करते हुए जरूरत पड़ने पर हर संभव सहयोग की घोषणा भी की है।
किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़ और युवा इकाई जिलाध्यक्ष नरेन्द्र धायल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल आरटीएच एक्ट संघर्ष समिति की ओर से दिए जा रहे डॉक्टर्स के धरने और अनशन स्थल पर पहुंचा। अनशन पर बैठे डॉ. रविंद्र धाभाई, डॉ. अनिल चौधरी और आईएमए के जोनल सेक्रेटरी डॉ. तनसुख चौधरी और डॉ. महेन्द्र बुडानिया को किसान यूनियन (टिकैत) का समर्थन पत्र दिया और डॉक्टर्स के साथ धरने पर बैठे। इस दौरान किसान नेताओं ने एक्ट के विरोध में नारेबाजी की।
इससे पहले कलेक्ट्रेट के सामने स्थित किसान यूनियन (टिकैत) के जिला ऑफिस पर जिलाध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़ की अध्यक्षता में आयोजित 116वीं साप्ताहिक मीटिंग में 16 पृष्ठीय राइट टू हेल्थ एक्ट को पढ़ा गया और एक्ट के सभी प्रावधानों और विसंगतियों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
युवा इकाई जिलाध्यक्ष नरेन्द्र धायल ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि 13 महीनों ( नवम्बर' 2020 से 15 दिसम्बर' 2021) तक चले किसान आन्दोलन के सभी धरनों व मोर्चों पर उपस्थित होकर बीमार किसानों व मजदूरों की चिकित्सा में डॉक्टर्स की ओर से की गई निस्वार्थ व नि:शुल्क सेवा के लिए डॉक्टर्स की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि बीमारी के इलाज, लोगों के अच्छे स्वास्थ्य व नागरिकों की आयु बढ़ाने में डॉक्टर्स के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
इस दौरान किसान यूनियन (टिकैत) के जिला संरक्षक रामदेव सिंह गोरा, उपाध्यक्ष हरिराम मील, युवा इकाई सक्रिय सदस्य राजू रेपसवाल मंडावरा, रनीश महरिया कूदन, सुनील कुमार भैरूंपुरा, राकेश कुमार मूण्ड बराल, मुकेश फोगावत सांगरवा, बाबूलाल आडवाणी मैलासी, अब्दुल मजीद खत्री आदि अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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