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डाउनलोड करेंराजस्थान में एक बार फिर बड़े बिजली संकट के हालात पैदा हाे गए हैं। छत्तीसगढ़ में राजस्थान को अलॉट पारसा कोल माइंस के नए फेज को वहां के सीएम भूपेश बघेल क्लियरेंस नहीं दे रहे हैं। खान से पहले ही इतना ज्यादा कोयला निकाला जा चुका है कि अब एक महीने का ही कोयला बचा है। राजस्थान के पास कोई दूसरा ऑप्शन भी कोयला सप्लाई को लेकर नहीं है। ओपन मार्केट से कोयला खरीदना प्रदेश के बजट के लिहाज से सम्भव नहीं है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बिजली संकट के हालात को देखते हुए केन्द्र के दो मंत्रालयों से छत्तीसगढ़ में पारसा माइंस का क्लियरेंस लेने में कायमाब रहे। वहां की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आखिर में क्लियरेंस अटका दी है। राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले भी छत्तीसगढ़ सीएम को पत्र लिखा था। एक बार फिर भूपेश बघेल से बातचीत की जाएगी। बड़ा सवाल ये है कि मोदी सरकार से राजस्थान की इस खान को एन्वायर्नमेंट क्लियरेंस मिल चुका है। 2 नवम्बर को कोल मिनिस्ट्री इस माइन से खनन की क्लियरेंस जारी कर चुकी है। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 21 अक्टूबर को ही क्लियरेंस दे चुका है।
दोनों केन्द्रीय मंत्रालयों से राजस्थान 15 दिनों में दो महत्वपूर्ण क्लियरेंस लेने में सफल रहा। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ही क्लियरेंस रोक रही है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान को भी मामले में दखल देनी पड़ सकती है।
दैनिक भास्कर संवाददाता नीरज शर्मा ने राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी से सीधी बात की..
सवाल- राजस्थान को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पारसा कोल माइंस के नए फेज पर खनन की परमिशन क्यों नहीं दे रही,जबकि केन्द्र सरकार के दो मंत्रालय क्लियरेंस जारी कर चुके हैं?
जवाब - छत्तीसगढ़ में पारसा कोल ब्लॉक में वहां की सरकार से क्लियरेंस का मामला प्रोसेस में है। मुख्यमंत्री गहलोत दोबारा से छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से इस बारे में बातचीत करेंगे। वहां के स्थानीय कुछ कारण हो सकते हैं। जल्द इसका समाधान करवाने की कोशिश की जाएगी।
सवाल- मौजूदा पारसा कोल ब्लॉक में कोयला खत्म होने वाला है। मुश्किल से एक महीने का कोयला बचा है। ऐसे में राजस्थान के सामने फिर से कोयला और बिजली का संकट पैदा हो सकता है?
जवाब- निश्चित रूप से। इसीलिए मुख्यमंत्री ने स्पेशल रिव्यू बैठक ली है। रबी की फसल को लेकर विशेष तौर पर बैठक की है। पूरा वर्क प्लान तैयार किया जा रहा है कि बिजली सप्लाई किस तरह करें। बिजली मैनेजमेंट करने के लिए सीनियर अफसरों को मुख्यमंत्री ने भी कहा है।
सवाल- राजस्थान में खुद के 7 प्लांट बंद हैं। सूरतगढ़-छबड़ा के प्लांट्स को दोबारा शुरू क्यों नहीं किया जा रहा? ये प्लांट चालू करते तो 2 से 2.50 रुपए यूनिट पर ही बिजली उपलब्ध हो जाती?
जवाब- हमारे पास कई बार बिजली की कमी रहती है। कई बार बिजली सरप्लस रहती है। जब बिजली ज्यादा होती है, तो हम दूसरे राज्यों को देते हैं। बिजली कम होती है, तो लेते भी हैं। जो प्लांट्स बंद होने की आपने बात कही है। यह रिव्यू मीटिंग हमने इसी बात को लेकर रखी है कि किस तरह कम पैसों में स्टेट को ज्यादा से ज्यादा बिजली दिलवा सकते हैं। ताकि जरूरत पूरी हो और आर्थिक भार भी बिजली कंपनियों या डिस्कॉम पर नहीं आए।
सवाल- विभाग के सूत्र बिडिंग और बिजली खरीद में कमीशन का खेल बता रहे हैं। अपने प्लांट्स में बिजली जनरेट नहीं करके बाहर से क्यों खरीदी जा रही है?
जवाब- नहीं। ऐसा नहीं है। बिजली राजस्थान में ही नहीं, पूरे देश में सोलर के माध्यम से सस्ती मिलती है। सोलर से बिजली की पूर्ति नहीं होती है, तो लिग्नाइट,थर्मल और दूसरे सोर्सेज से बिजली लेते हैं। फिर भी पूर्ति नहीं होती है,तो दूसरे राज्यों से भी बिजली लेते हैं। ओवरऑल इस विभाग की जिम्मेदारी मिले हुए मुझे अभी बहुत कम समय हुआ है। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि हमारे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मेहनत के साथ काम कर रहे हैं। इसलिए कमीशनखोरी जैसा कोई सिस्टम नहीं है। काफी जगह किसानों को वोल्टेज की समस्या है। उस संबंध में भी चर्चा की है। आज 17 जिलों में दिन में किसानों को 2 ब्लॉक्स में बिजली दी जा रही है। मुख्यमंत्री का विजन है कि पूरे राजस्थान में किसानों को दो ब्लॉक में बिजली देंगे।
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