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डाउनलोड करेंलाडनूं पुलिस की कार्रवाई के बाद पकड़े गए नकली नोट छापने वाले गिरोह को लेकर कमीशन का भी बड़ा खेल चल रहा था। पूछताछ की गई तो पता चला कि नोटों की प्रिंटिंग का सारा काम वह जयपुर में 10 हजार रुपए मासिक किराए पर लिए गए एक विला में कर रहे थे। उसने इसके लिए एक अन्य मुलजिम प्रथम शर्मा का सहयोग लिया। वह बृजेश का साथी ही था और जयपुर में पुरानी बस्ती नाहरगढ़ रोड पर निवास करता था। उसके साथ मिलकर 500 और 200 के नोट हूबहू असली जैसे छापने शुरू किए। यह बात उन दो के अलावा अन्य किसी को पता नहीं थी। जयपुर में छपे इन नोटों को मुलजिम मो. रफीक खां अपने रिश्तेदारों व दोस्तों के माध्यम से चला रहे थे, जो नोटों की सप्लाई प्राप्त करने के बाद उन्हें विभिन्न ऐसे स्थानों-प्रतिष्ठानों तक पहुंचाते थे, जिनमें अधिकांशतः केश ट्रांजेक्शन (नकद लेनदेन) होता है।
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