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डाउनलोड करेंस्कूलों में 8 दिसंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। बच्चों के लिए बेहद अहम इन इम्तिहान से पहले जब भास्कर ने अब तक स्कूलों में करवाई स्टडी और और कंप्लीट करवाए कोर्स के बारे में जानकारी जुटाई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 1 जुलाई से शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद 30 नवंबर तक 151 दिनों में महज 83 दिन (54%) ही बच्चों की पढ़ाई हो सकी। 68 दिन यानी, 46% दिन तक बच्चों की कक्षाएं लगी ही नहीं। वहीं इन बच्चों को पढ़ाने वाले गुरुजी इसकी बजाय आरपीएससी व कर्मचारी चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाएं करवाने, टीचर्स ट्रेनिंग करने और विभागीय योजनाओं को पूरा करने में व्यस्त रहेे।
खास बात यह है कि 7 सितंबर तक तो शिक्षक स्कूलों में एडमिशन ही करते रहे। इसके बाद भी गुरुजी और शिष्य, दोनों ही खेलकूद में व्यस्त हो गए। 31 अक्टूबर से 27 नवंबर तक, करीब एक महीने तक खेलकूद प्रतियोगिताएं हुईं। अब हालत यह है कि अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं और अधिकांश स्कूलों में सिलेबस तक पूरा नहीं हुआ है। विभाग जांच के नाम पर आगामी 30 नवंबर और 1 दिसंबर को स्कूलों में निरीक्षण करेगा। 50 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को विभाग कारण बताओ नोटिस भी जारी करेगा।
सप्ताह में 2 दिन पढ़ाई बंद, छुटि्टयां और सरकारी फॉर्मेलिटीज में जाता वक्त
सप्ताह में दो दिन स्कूलों में पढ़ाई बंद हो चुकी है। रविवार को अवकाश रहता है और टीचर्स कंपीटिशन एग्जाम करवाने में व्यस्त रहते हैं। वहीं शनिवार को नो बैग डे होने से पहली से बारहवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ाई के अलावा विभिन्न एक्टिविटीज करते हैं। अब बचे 5 दिनों में हाल यह है कि हर महीने 4 से 5 फेस्टिवल या आयोजन के अवकाश हो जाते हैं।
बचे दिनों में भी टीचर्स और संस्था प्रधान सूचनाएं भेजने में व्यस्त रहते हैं। रही-सही कसर संविदा पर शिक्षक लेने और योजनाओं को रद्द करने पर उनको व्यवस्थित करने। बच्चों को दूध पिलाने और यूनिफार्म देने घोषणा के बाद इन सबकी व्यवस्थाओं की तैयारी और उसे अंजाम देने में भी वक्त लग जाता है। राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम के तहत 30 नवंबर और 1 दिसंबर को पूरे प्रदेश की स्कूलों में जांच होगी। 29 और 30 नवंबर को ही स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले हिंदी, गणित, पर्यावरण के शिक्षकों की ट्रेनिंग ब्लॉक स्तर पर होगी।
जानिए जुलाई से नवंबर का लेखा-जोखा
परीक्षाएं भले ही रविवार को हों, लेकिन इसके लिए टीचर्स की ट्रेनिंग, स्कूलों में 1-2 दिन तक व्यवस्थाएं करने आदि में भी समय लगता है। इन दिनों में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती है।
स्कूलों में कंपीटिशन एग्जाम होते रहे, बच्चों की पढ़ाई पिछड़ती गई
अभी भी RTE और BLO का काम चल रहा
निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश दिए गए बच्चों का भौतिक सत्यापन करने का काम अंतिम चरण में है। इधर आगामी वर्ष में चुनाव के मद्देनजर मतदाता सूचियों को अपडेट करने, नए मतदाताओं को जोड़ने का काम टीचर्स के भरोसे है। इसके अलावा ओपन बोर्ड परीक्षाएं करवाने, परीक्षाओं के पेपर बनाने, केआरपी, टीचर्स लीडरशिप ट्रेनिंग, सब्जेक्ट ट्रेनिंग, वॉलंटियर ट्रेनिंग का काम भी चल रहा है।
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