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डाउनलोड करेंजोधपुर में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से सुर बहार कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में दूसरे रविवार को मांड व गजल गायक अली गनी ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उन्होंने मांड में केसरिया बालम से शुरुआत की। उस्ताद बंधुओं ने कहा कि जब उन्होंने गायन शुरू किया तो यही प्रण किया कि राजस्थानी लोक संगीत को दुनिया भर में फैलाएंगे और इसीलिए हर कार्यक्रम की शुरुआत में मांड के कई रूपों को प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने मांड के तीन प्रकार प्रस्तुत किए जो बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर में गाई जाती है।
बाद में सेलिब्रेटी कलाकारों ने स्वयं की कंपोज गजल की प्रस्तुति दी। मुमताज राशिद की गजल कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर...' और जिंदगी से यही मिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला, तेरी महफिल में हम ना होंगे मोहब्बत करने वाले कम ना होंगे जैसी गजल सुनाई तो हर कोई वाह-वाह करने लगा।
उन्होंने बॉलीवुड गायन के भी कुछ उदाहरण पेश कर श्रोताओं की दाद लूटी। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का समापन आज रविंद्र उपाध्याय की बॉलीवुड नाइट के साथ होगा।
जगजीत सुनते थे कार में मांड
मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह का जब भी मन करता, वे अली-गनी को बुलाकर राजस्थान का लोकप्रिय राग “मांड’ सुनते थे। गनी बताते हैं कि जगजीत सिंह को उनकी मांड गायकी इतनी पसंद थी कि कई बार मुंबई की सड़कों पर अपनी कार में हमारी मांड सुनते हुए सफर करते थे। निधन से कुछ ही दिन पहले तक, कोई सात-आठ साल से जगजीत सिंह का उनसे मांड सुनने का यह सिलसिला चल रहा था। इसके लिए वो फोन करके इन्हें बुला लेते थे।
ओमपुरी सीखते थे गनी से गायन
अली-गनी की संगीतकार जोड़ी के गनी ने बताया कि ओमपुरी को गाने का शौक था और कई बार वे कहते- “गुरुदेव गाना सिखाओ।’ जब उनका मूड होता वे गनी के साथ बैठकर गाने का रियाज करते थे। कई बार रस रंजन करते हुए साथ गाते थे।
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