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डाउनलोड करेंसतर्कता विभाग (विजिलेंस) का काम मिलीभगत और भ्रष्टाचार को रोकना है लेकिन रेलवे में एक विजिलेंस अधिकारी का अलग ही रवैया सामने आया है। पहले तो उसने अपने रिश्तेदारों के साथ रेल में बेटिकट यात्रा करने का प्रयास किया, फिर टीटीई ने रोका तो अपने पद-प्रभाव का दुरुपयोग कर टीटीई को ही सजा दिलवा दी। खुद रेलवे की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
रेलवे की जांच में सामने आए तथ्यों के अनुसार पिछले अगस्त में जयपुर से अजमेर-अमृतसर स्पेशल में टिकट चैकिंग के दौरान टीटीई को कोच में एक यात्री अपने 6 रिश्तेदारों के साथ बेटिकट मिला। टिकट मांगने पर वह खुद को रेलवे बोर्ड की विजिलेंस विंग में सेक्शन ऑफिसर (एसओ) बताते हुए टीटीई को धमकाया। जुर्माना भरने की बजाय वह अभद्रता करने लगा और राजगढ़ स्टेशन आने पर अपने रिश्तेदारों के साथ उतर गया।
झूठा मुकदमा बनाया, सजा कम मिली तो रिव्यू कराकर बढ़वाई
विजिलेंस ऑफिसर ने पहले अपने अधिकारी से टीटीई के खिलाफ झूठी शिकायत की। इस पर विजिलेंस टीम ने रक्षाबंधन से एक दिन पहले दिल्ली-जयपुर डबल डेकर में टीटीई के कोच का आकस्मिक निरीक्षण किया। जांच में कुछ नहीं मिला तो टीटीई के खिलाफ नॉन कॉपरेशन और ड्यूटी के दौरान शराब पीने का झूठा मुकदमा बनाया।
जयपुर में आरपीएफ के साथ बनीपार्क स्थित सरकारी अस्पताल में जांच में अल्कोहल नहीं मिला तो टीटीई को आरपीएफ थाने लाकर पूछताछ की गई। इस दौरान ‘पानी’ पिलाया गया और 15 मिनट बाद नियम विरुद्ध दोबारा एसएमएस अस्पताल ले जाया गया।
वहां जांच में अल्प मात्रा में अल्कोहल मिला तो उसे आधार बनाते हुए जयपुर मंडल से सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की गई। इसके बाद टीटीई को एक माह के लिए दो स्टेप नीचे कर दिया गया। टीटीई को सिर्फ एक माह के लिए दो स्टेप नीचे करने की कार्रवाई से असंतुष्ट विजिलेंस अधिकारी ने सजा पर दोबारा रिव्यू कराया। इसके बाद टीटीई को 12 महीने के लिए एक स्टेप नीचे कर दिया गया।
रसूखात ऐसे, उच्च स्तर से आदेश ही निकलवा दिया
रेलवे बोर्ड ने न सिर्फ टीटीई मामले में रिव्यू कर सजा बढ़ाने के लिए कहा बल्कि सभी जोनल रेलवेज को सख्त निर्देश भी जारी किए हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि जब विजिलेंस विभाग संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मेजर पैनल्टी चार्जशीट देने के लिए अनुशंसा करता है तो उसे माइनर पैनल्टी कैसे दी जाती है? इस संबंध में पक्ष लेने के लिए विजिलेंस अधिकारी को कई बार फोन किया गया लेकिन उन्होंने कुछ कहने से इनकार कर दिया।
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