पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंसियासत की गंदगी ने हमारे गुलाबी नगरी की सफाई पर दाग लगा दिया। जयपुर नगर निगम के बंटवारे के बाद पहली बार हुए स्वच्छता सर्वे में हेरिटेज को 32वां और ग्रेटर को 36वां स्थान मिला है। यह रैंकिंग देश के 10 से 40 लाख आबादी वाले 48 शहरों के सर्वे में मिली है। सर्वे के 6000 नंबर में से हेरिटेज काे 3482.08 और ग्रेटर काे 3327.86 नंबर मिले हैं। हालांकि 2020 (जब निगम एक था) में हुए सर्वे में जयपुर निगम की 28वीं रैंक (सर्वश्रेष्ठ रैंक) थी।
दाेनाें निगम में अलग-अलग बोर्ड गठित होने के एक साल बाद आए स्वच्छता सर्वे के परिणामों काे देखें तो 2020 के मुकाबले हेरिटेज 3 और ग्रेटर 8 पायदान नीचे लुढ़क गया है। इसके पहले 2019 में 44वीं, 2018 में 39वीं और 2017 में 215वीं रैंक आई थी। हैरानी की बात यह कि 3 चरणों में होनी वाले सफाई सर्वे में हम पब्लिक फीडबैक में तो 40% तक नंबर कटे। लोग इतने नाराज थे कि उन्होंने फीडबैक तक नहीं दिया।
ग्रेटर में जनवरी में आए यज्ञमित्र देव सिंह और तत्कालीन मेयर के बीच करीब 6 महीने तक विवाद की स्थिति रही। इधर, ग्रेटर की मेयर लगातार सरकार पर अनदेखी का आरोप लगा रही हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में पहले स्थान पर फिर इंदाैर ने बाजी मारी जबकि जयपुर में हेरिटेज निगम के मुकाबले भी ग्रेटर निगम पीछे रह गया।
हेरिटेज काे ग्रेटर निगम की तुलना में 154.23 अंक ज्यादा मिले हैं। दाेनाें ही निगमाें के सर्टिफिकेशन में ज्यादा नंबर कटे हैं, इस वजह से रैंक में पिछड़ गए। सर्टिफिकेशन में इन्हें 1800 में से केवल 500 अंक मिले हैं।
पिछले सर्वे में जब निगम में बोर्ड नहीं था तो अफसर 28वीं रैंक लाए थे... इस बार सियासत में फंसे रहे
पिछले साल जब मेयर, पार्षद व निगम का बोर्ड नहीं था तो अफसरों ने खुद के बूते 28वीं रैंक हासिल की थी और अब ग्रेटर निगम 8 रैंक नीचे चला गया। जबकि हेरिटेज निगम 4 रैंक नीचे आकर 32 रैंक पर आ पाया। वजह साफ है, ग्रेटर मेयर व बोर्ड भाजपा का रहा तो मेयर, पार्षदों व कमिश्नर के विवाद का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा और सफाई सुधरने की बजाए बिगड़ी।
हेरिटेज व ग्रेटर दोनों निगमों में सियासत इतनी हावी रही कि निगम अफसर अपना मूल काम सफाई भी भूल गए। यही वजह रही कि हम सफाई की रैंकिंग सुधारने की बजाए अपनी पुरानी रैंक भी कायम नहीं रख सके।
खुली आंखों से देखते रहे, तब कुछ करते तो अब यह दिन नहीं देखना पड़ता
हेरिटेज 58% अंक 3482.09/6000 हेरिटेज 58% अंक 3482.09/6000
वार्ड-100, आबादी-30,46,163 (2011 की जनगणना के आधार पर)
कहां कितने नंबर कटे?
1. सर्विस लेवल प्राेग्रेस अंक: 1734.98/2400
(डाेर-टू-डाेर कचरा संग्रहण, निस्तारण, गीला-सूखा कचरा, शिकायताें का निस्तारण सहित अन्य डाॅक्यूमेंटेशन।)
2. सर्टिफिकेशन: 500/1800 (खुले में शौचमुक्त करने में 700 में से 500 और जीएफसी के 1100 में से शून्य मिला)
3. सिटीजन वाॅयस (फीडबैक): 1247.11/1800 अंक
कांग्रेसी मेयर मुनेश ने सुधार की बात कही
हेरिटेज की 32वीं रैंक से काफी निराशा हुई है। आने वाले समय में सफाई व्यवस्था सुधारने पर फोकस रहेगा। मैं क्षेत्र के दाैरे कर सफाई का जायजा लूंगी। कोताही बरतने वाले अधिकारियाें- कर्मचारियों पर कार्रवाई हाेगी। नई जेटिंग मशीनों के आने से सीवर की व्यवस्था काे सुधारा जाएगा। उन्होंने बताया कि गत एक माह में 65 से अधिक सफाई कर्मचारियों पर कारवाई की गई है। - मुनेश गुर्जर, मेयर, हेरिटेज निगम
ग्रेटर 55% अंक 3327.86/6000
वार्ड-150, आबादी-17,01,359 (2011 की जनगणना के आधार पर)
कहां कितने नंबर कटे?
1. सर्विस लेवल प्राेग्रेस अंक: 1736.59/2400
(डाेर-टू-डाेर कचरा संग्रहण, निस्तारण, गीला-सूखा कचरा, शिकायताें का निस्तारण सहित अन्य डाॅक्यूमेंटेशन।)
2. सर्टिफिकेशन: 500/1800 (खुले में शौचमुक्त करने में 700 में से 500 और जीएफसी के 1100 में से शून्य मिला)
3. सिटीजन वाॅयस (फीडबैक): 1091.27/1800 अंक
बीजेपी मेयर शील बोलीं-भेदभाव हुआ
राज्य सरकार के भेदभाव से हम पिछड़े हैं। हेरिटेज काे 14 नई जेटिंग मशीनें और 400 कराेड़ रुपए का बजट दे दिया गया। वहीं, ग्रेटर से ज्यादा सफाई कर्मचारी हेरिटेज में लगे हुए हैं। ऐसे में संसाधनाें की कमी की वजह से ग्रेटर की स्वच्छता रैंकिंग पिछड़ी है। फिलहाल, आगे हमारी कोशिश है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंक सुधरे और शहर साफ-सुथरा रहे। - शील धाबाई, मेयर, ग्रेटर निगम
भास्कर EXPLAINER- 2 निगमाें में 11 जाेन, 2-2 मेयर-डिप्टी मेयर और 246 पार्षद फिर भी ये हाल
ग्रेटर में 11 माह में कोई साधारण सभा नहीं... हेरिटेज में महज एक
दो निगम बनने के बाद आया स्वच्छता सर्वेक्षण शर्मनाक रहा। दो मेयर, 2 डिप्टी मेयर, 2 कमिश्नर और 246 पार्षद मिलकर भी गुलाबी नगर की चमक नहीं बिखेर पाए। हेरिटेज व ग्रेटर दोनों में ‘सियासत की गंदगी’ ऐसी फैली कि सफाई का कचरा हो गया। वजह...ग्रेटर मेयर व बोर्ड भाजपा का रहा तो मेयर, पार्षदों और कमिश्नर के विवाद का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा।
हेरिटेज में मेयर व बोर्ड कांग्रेस का बना लेकिन मेयर से ज्यादा पॉवरफुल कांग्रेस विधायक अपने इलाके में काम करवाते और पार्षदों के काम नहीं हुए। 11 महीने में ग्रेटर में एक भी साधारण सभा नहीं हुई, जहां पार्षद वार्ड के मुद्दे व समस्याएं रखते थे। जबकि हेरिटेज में भी सिर्फ एक बोर्ड बैठक हुई है। नियमों के अनुसार प्रत्येक दो महीने में बोर्ड बैठक होनी अनिवार्य है।
बीवीजी पर सफाई का जिम्मा, सफाई का कचरा कर दिया, 511 नोटिस भेजे... जिम्मेदार मौन
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.