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डाउनलोड करेंदेशभर में चर्चित बाइक बोट घोटाले के मुख्य आरोपी सहित तीन आरोपियों को जयपुर में मुहाना थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को पुलिस ने मामले का खुलासा किया। करीब 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा ठगी के इस केस में देश के अलग अलग राज्यों में करीब 300 से ज्यादा केस दर्ज है। जयपुर पुलिस की गिरफ्त में इन शातिर ठगों के खिलाफ बाईक बोट घोटाले की जांच ईडी, एसआईटी, ऑडब्लूईएस, सीबीआई एजेंसियां कर रही है। उनको प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया गया।
इन शातिर ठगों ने गर्वित इनोवेटिव प्रोमोटर्स प्रा. लि. (जीआईपीएल) के डायरेक्टर बनकर लोगों को विश्वास में लेकर ओला, उबर की तरफ से बाइक बोट के नाम से कंपनी खोल ली। इसमें चेन सिस्टम से लोगों को प्रति माह कमीशन कमाने के लालच दिया और कंपनी में करोड़ों रुपए की रकम निवेश करवा ली। आरोपियों के खिलाफ राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, मुम्बई के विभिन्न थानों में केस दर्ज है। इनमें 27 केस जयपुर में है।
पेशे से केमिकल इंजीनियर है गैंग का मास्टरमाइंड
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी (साउथ) हरेंद्र महावर ने बताया कि गिरफ्तार मुख्य आरोपी संजय भाटी (46) है। वह उत्तरप्रदेश में गौतम बुद्ध नगर, धनकोर में चिती गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपी विजयपाल कसाना (41) उत्तरप्रदेश में मेरठ जिले के फलवदा का रहने वाला है। अभी यूपी में पल्लवपुरुम का रहने वाला है। तीसरा आरोपी राजेश भारद्वाज (55) उत्तरप्रदेश में बुलंदशहर स्थित मोहल्ला शेकपेन, जिला खुरजा में रहता है।
गैंग का सरगना संजय भाटी पेशे से केमिकल इंजीनियर है। जिसने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, कासीपुर उत्तराखंड से केमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। ठगी का मास्टरमाइंड आरोपी संजय भाटी उत्तरप्रदेश में प्राईमेक्स ब्राडकास्ट प्रा. लि., प्राईमेक्स प्लास्टिक प्रा.लि., गर्वित बार्ड कॉस्ट प्रा. लि., इन्डिपेंडेन्ट टी.वी. लि. एसनो टच कम्पनी से सिस्टर कंसर्न कम्पनी को संचालन करता था।
बाइक बोट स्कीम में निवेश का लालच देकर 1 लाख रुपए कमीशन का लालच
आरोपी संजय भाटी द्वारा गर्वित इनोवेटिव प्रोमोटर्स प्रा. लि. (जीआईपीएल) में बाइक बोट जीपीएल स्कीम में एक व्यक्ति से करीब 65 हजार रूपये की बाइक के नाम से निवेश करवाया। जिसमें प्रति माह 9000 रूपये तथा वर्ष में 1,08,000 रूपये का कमीशन कमाने का लुभावना लालच देकर ठगी को अंजाम दिया। आरोपी के कम्पनी में करीब 12,000 कर्मचारी काम करते थे। करीब 10,000 से अधिक बाइक टैक्सी संचालित कर रखी थी। आरोपी द्वारा विभिन्न राज्यों के करीब 1,50,000 व्यक्तियों के साथ ठगी की वारदातों को अंजाम दिया है। आरोपियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों के पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज होने पर वे फरार हो गए।
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