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डाउनलोड करेंकोटपुतली क्षेत्र में भीषण सर्दी के बीच किसानों को जान जोखिम में डालकर फसल को बचाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। शीत लहर और कड़ाके की सर्दी में जहां लोग रजाई से निकलने में कतराते हैं वहीं अन्नदाता खुले आसमान के नीचे सिंचाई करने को मजबूर हैं। कारण है बिजली की सप्लाई। क्षेत्र में सिंचाई के लिए बिजली की सप्लाई रात के समय में ही की जाती है।
सिंचाई के वक्त किसान चाह कर भी जूते नहीं पहन पाते। गीली मिट्टी में उन्हें नंगे पांव काम करना पड़ता है। नाली टूट गई या पाइप फट गई। उसे दुरुस्त करने का काम भी उन्हें करना पड़ता है। रबी सत्र में खेत में छोटी क्यारियां बनती हैं। हर क्यारी को भरना पड़ता है। इसके लिए उन्हें घंटों खेत में गुजारना पड़ता है।
अंधेरे में पानी की बर्बादी भी होती है। कभी-कभी खेत का पानी अन्य खेतों में भी बह जाता है। ऐसे में गरीब किसान को लेने के देने पड़ जाते हैं। बोरवेल संचालक 200 रुपये प्रति घंटे की दर से किराया लेकर सिंचाई करते हैं। कोई साल ऐसा नहीं जाता जब सिंचाई के बाद ठंड से किसान दम नहीं तोड़ते।
डॉक्टर हरी हुल्डा व संदीप मोहनिया ने बताया कि हर दिन लगभग 10 से 15 मरीज वह किसान होते हैं जो रात को फसलों में पानी देते हैं। मान्यावाली निवासी किसान रामनिवास यादव, रोहताश सिंह, हरफूल आदि ने बताया कि महीने में थ्री फेस बिजली 3 शिफ्ट में आती है।
हालांकि, तेजी से गिरते जलस्तर के कारण बोरवेल में पानी कम होता है जिससे दिन के समय में पूर्ति नहीं हो पाती है। इस वजह से मजबूरन उन्हें रात के समय भी पानी देने की नौबत आती है।
विद्युत विभाग एईएन कपिल शर्मा ने बताया कि पावटा क्षेत्र में पड़ने वाले सभी फीडर में थ्री फेस बिजली सप्लाई तीन शिफ्ट में दी जाती है। रात्रि में 10:00 से 4:00 तक तथा दो शिफ्ट दिन में सुबह 6:00 से 12 एवं दोपहर 12.00 से शाम 6:00 बजे तक बिजली सप्लाई दी जाती है।
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