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कांग्रेस का नए स्लोगन से वोट बैंक पर निशाना:जट्ट, दलित और हिंदू वोट बैंक साधने के लिए सिद्धू-चन्नी-जाखड़ की तिकड़ी करेगी चुनाव प्रचार

एक वर्ष पहलेलेखक: दिलबाग दानिश
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पंजाब में कांग्रेस ने 86 उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतार दिए हैं। साथ ही अपने प्रचार को धार देने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने प्रचार अभियान की शुरुआत तीन चेहरों और नए स्लोगन के साथ कर जातिगत वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है।

कांग्रेस पार्टी ने इस बार का स्लोगन दिया है 'नवीं सोच नवां पंजाब।' साथ में PPCC प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू, दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और हिंदू नेता सुनील जाखड़ की तिकड़ी को आगे रखा है। तीनों की फोटो और नए स्लोगन वाले होर्डिंग अब पंजाब के सभी शहरों में दिखने लगे हैं। साथ ही बोर्ड पर 'पंजाब दी चड़दी कला कांग्रेस मंगे सरबत दा भला' भी बड़े अक्षरों में उभार कर लिखा गया है।

नए स्लोगन के साथ इस विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति साफ नजर आ रही है। जाहिर सी बात है कि नवजोत सिंह सिद्धू के नाम से जट्ट सिख चेहरा, चरणजीत सिंह चन्नी को दलित फेस और सुनील जाखड़ को हिंदू चेहरे के तौर पर आगे रखा है। इससे सभी पार्टियों के मुद्दा छीनने का प्रयास किया है।

लुधियाना में लगे कांग्रेस के नए स्लोगन वाले होर्डिंग।
लुधियाना में लगे कांग्रेस के नए स्लोगन वाले होर्डिंग।

कांग्रेस ने इसलिए बदली सूबे में अपनी रणनीति

कांग्रेस की इस रणनीति के पीछे मुख्य कारण सभी वर्गों का साथ लेकर चलना है। दरअसल पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और शिरोमणि अकाली दल बादल का पूरा जोर हिंदू वोट बैंक साधने और आप का पूरा जोर जट्ट सिख वोट बैंक को अपने पाले में करने पर लगा है। ऐसे में कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों के साथ सभी वर्गों के वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है।

कांग्रेस पहले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर अकाली दल और आप से दलितों की राजनीति का मुद्दा छीन चुकी है। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस राज्य की कुल आबादी में 19% का हिस्सा रखने वाले जट्टसिखों पर ही दांव लगाते रहे हैं। इस बार सबकी नजर 70% दलित-हिंदू वोट बैंक पर है। इसमें कांग्रेस और अकाली दल भी अपनी रणनीति बना रहे हैं। पंजाब की राजनीति में दलितों और हिंदुओं की उपेक्षा किस कदर होती रही है कि रामगढ़िया सिख बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले ज्ञानी जैल सिंह को छोड़ दें तो 1967 के बाद पंजाब में नॉन जट्ट कभी मुख्यमंत्री नहीं बना।

पिछला चुनाव कैप्टन के नाम पर लड़ी कांग्रेस

2017 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम पर लड़ा गया था। पंजाब दा कैप्टन के नाम से कैंपेन चलाई गई और उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर कांग्रेस ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 117 में से 77 सीटें जीतीं। सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में हुए विवाद के बाद अब कांग्रेस ने तीन चेहरों पर दाव लगाया है। देखने वाली बात यह रहेगी कि पार्टी बिना कैप्टन के किस तरह का प्रबाव दिखाती है।

जाखड़ का टिकट सूची में नाम नहीं, प्रचार की कमान संभालेंगे

सुनील जाखड़ इन तीनों में से ऐसे नेता हैं जिनका पहली सूची में टिकट के लिए नाम अनाउंस नहीं हुआ है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि वह सिर्फ और सिर्फ चुनाव में प्रचार की ही कमान संभालेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर से और चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।

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